दमा | Asthama

दमा दम के साथ ही जाता है 

बहुत पुरानी कहावत है, ये इस  रोग के बारे में…

अनुमानित 1.5-2 करोड़ दमा / अस्थमा रोगियों के साथ, विश्व भर में प्रत्येक 10 अस्थमा रोगी में से कम से कम एक भारत में रहता है। विश्व स्तर पर, अस्थमा से जुड़ी आर्थिक लागत संयुक्त टीबी और एचआईवी / एड्स से अधिक है। अस्थमा सभी देशों में पाया जाता है, चाहे वे विकसित हों या अविकसित। वास्तव में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, अस्थमा से होने वाली मौतों में से 80 प्रतिशत से अधिक निम्न और निम्न-मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं।

दमा | कुछ तथ्य

  • दमा / अस्थमा बचपन की सबसे आम पुरानी बीमारियों में से एक है और न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है।
  • बुजुर्गों में अस्थमा को इसकी विशेष लक्षणों और इसके साथ जुडी अन्य समस्याओं के कारण पहचानना मुश्किल हो सकता है।
  • बुजुर्गों में कई अन्य बीमारीओं के लक्षण भी अस्थमा के साथ जुड़े हुए हैं, और युवा रोगियों में इस बीमारी के लक्षणों से अलग होते हैं।
  • उपचार के समय मिलने वाले अस्थमा के संभावित  लक्षणों में रायनाइटिस, गैस्ट्रो-इसोफेगल रिफ्लक्स मिल सकते हैं।
  • और कुछ अन्य लक्षणों में अवसाद और संज्ञानात्मक हानि जो की अस्थमा के कारण बुढ़ापे में हो सकती है।
  • दवाओं के कुछ अनचाहे प्रभावों   में मोतियाबिंद, ऑस्टिओपोरोसिस, अतालता arrhythmia(अनियमित ह्रदय स्पंदन ) हो सकते हैं।

अस्थमा एक पुरानी वायुमार्ग की बीमारी है और यह सभी उम्र वालों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन क्या इस परिभाषा में बुजुर्ग भी शामिल हैं? परंपरागत रूप से, अस्थमा को कम उम्र की बीमारी माना जाता रहा है, लेकिन अध्ययन और  नैदानिक ​​अनुभव इस अवधारणा का समर्थन करते हैं कि अस्थमा के अधिक उम्र के लोगों की संख्या भी बढ़ रही है क्योंकि जिन युवाओं को यह दिक्कत है समय के साथ वह भी वृद्धावस्था की ओर बढ़ते जा रहे हैं।

दमा क्या है

श्वास नलिकाएं जो पतली कार्टिलेज से निर्मित होती हैं उनका लचीलापन सांस लेने को आसान  है। जब इन नलिकाओं में इन्फेक्शन या ऐलर्जी के कारण सूजन आने लगती है या यह सिकुड़ने लगती हैं तो फेफड़ों तक सांस पहुंचना कठिन हो जाता है और व्यक्ति का दम फूलने लगता है इसे ही दमा या अस्थमा कहते हैं।

 

दमा होने का कारण 

दमा होने की अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ यहाँ दिए जा रहे हैं।

अनुवांशिक

इसका एक कारण अनुवांशिक भी हो सकता है। यानी आपके परिवार में यदि दमे का इतिहास रहा हो तो यह संभावना बढ़ जाती है कि आगे चलकर आपको भी दमा हो सकता है।

पर्यावरणीय कारक

भारत में एक डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा एकत्र पांच साल की रिपोर्टों के विश्लेषण के अनुसार, धूल, तिलचट्टे और पराग एलर्जी के अस्थमा के सबसे बड़े कारण हैं। 2013 से 2017 तक 63,000 रोगियों की रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार, 60 प्रतिशत मामलों में विभिन्न प्रकार की धूल जो तिलचट्टों द्वारा फैलाई जाती है एलर्जी एक कारण थी।

यह निष्कर्ष पिछले अध्ययनों से मिलते जुलते ही हैं जिनमें अस्थमा का संभावित कारण अस्थमा धूल, पराग, कीड़े और पालतू जानवरों जैसे पर्यावरणीय एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण होता है।

  • एसी की ठंडी हवा, बर्फ़ीली हवा, धूल।
  • पालतू जानवर, स्प्रे (इनमें मौजूद एअरोसॉल्स)
  • इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में काम करने वाले, बेकरी या कारपेंटरी करने वाले सभी, जो लंबे समय तक ऐसे दमे के कारकों के संपर्क में हो सकते हैं, दमे के खतरे में आ सकते हैं।
  • मौसम का बदलाव।

वातावरण में मौजूद एलर्जी के कारण, ज़रूरी नहीं की हर किसी को एलर्जी हो पर अगर किसी में एलर्जी के लिए प्रतिरोधक क्षमता न हो तो उस पर असर जल्द दिखता है।

वायु प्रदूषण

आज वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, और महानगरों में अत्यधिक ट्रैफिक पेट्रोल-डीज़ल के जलने से प्रदूषण ने शहरों की आबो हवा खराब करने के साथ अनेकानेक रोगों के बढ़ने में अपना योगदान दिया है, जिनमे सांस सम्बन्धी परेशानियां सबसे ऊपर हैं।

धूम्रपान

सिगरेट एवं बीड़ी के धुएं से न सिर्फ पीने वाले के फेफड़ों को नुक्सान होता है, बल्कि धूम्रपान के धुएं भरे में रहने वाले अन्य लोगों पर विशेषकर शिशुओं और बुजुर्गों को अस्थमा होने सांस की परेशानी हो सकती है।

मोटापा

मोटापा भी अस्थमा का एक कारण हो सकता है। अधिक वजन से फफेड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।

तनाव

आज कल की प्रतिस्पर्धी जीवन शैली में तनाव अनेक बीमारियों के साथ दमे के लिए भी एक बहुत बड़ा कारण है।

अस्थमा की पहचान के लिए नया बायोमार्कर

एक सकारात्मक विकास में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के श्वसन चिकित्सा विभाग के शोधकर्ताओं ने अस्थमा का पता लगाने के लिए एक बायोमार्कर की पहचान की है। यह एक साधारण रक्त परीक्षण के माध्यम से इस बीमारी का निदान कर सकता है।

विशेष- जिनकी खांसी लंबे समय से ठीक न हो रही हो, जल्दी-जल्दी ज़ुकाम होता हो, धुएं, धूल किसी ख़ास स्प्रे जैसे डियो, इत्यादि से छींकें आती हों, उन लोगों को ख़ासतौर पर इस पर ध्यान देना चाहिए।

 

दमा की शुरुआत 

यदि हमें किसी एलर्जी कारक के संपर्क में आने पर श्वसन सम्बन्धी दिक्कतें होती हैं जैसे, खांसी और नाक से पानी आना और ऐसा बार-बार होने पर भी हम ध्यान नहीं देते हैं।  तो एलर्जी के कारण सांस की नलिकाओं में सूजन आने लगती है, और आगे चल कर यह दमे का रूप ले सकता है।
दमा: लक्षण

दमा: लक्षण

कुछ लक्षण जिन्हें आप नज़रअंदाज़ करते हैं

  • कुछ लक्षण जैसे चलने पर, सीढ़ी चढ़ने पर सांस उखड़ना, सामान्य से कार्यों के करने पर दम फूलना, यहाँ तक की बोलने पर भी थकान महसूस करना।
  • ऐसे बहुत सारे लक्षण जहां स्टैमिना की कमी, दिल के रोग होने का अंदेशा हो, वैसे ही ये दमे के सूचक भी हो सकते हैं।
  • रात में और सुबह को कफ की शिकायत होना।
  • व्यायाम या टहलने के दौरान जल्दी थकान व सांस फूलना।
  • सीने में जकड़न व दर्द की शिकायत।
  • सांस लेने पर घरघराहट होना।

दमे का उपचार या  प्रबंधन 

आधुनिक मेडिकल साइंस के पास अभी तक ऐसा कोई उपाय नहीं की दमे को जड़ से ख़त्म किया जा सके। हाँ, उपलब्ध इलाज की सहायता से दमे को लम्बे  समय तक नियंत्रण में रखा जा सकता है। इसके लिए आपको  समय पर दवाएं लेनी है और ट्रिगर्स से यानी वह कारक जो दमे की तकलीफ को बढ़ाते हैं उनसे बचकर रहना है।
  • दवाओं की बात करें तो मुख्यतः दो तरह की दवाएं उपलब्ध हैं, रिलीफ और एंटी-इन्फ्लेमेशन
  • ये दोनों पम्प के सहारे अच्छा काम करती हैं।
  • रिलीफ – यानी तकलीफ में राहत देने वाली दवाएं।
  • साधारणतः अगर एलर्जी के कारण अगर सांस लेने में दिक्कत हो खांसी आने लगे तो रिलीवर पम्प के 8 पफ्स लेने होते हैं।
  • अगर डाक्टर द्वारा बताये गयी मात्रा से ज़्यादा रिलीवर पम्प का इस्तेमाल करना पड़ रहा है यह नली में बढ़ती सूजन को बताता है।
  • ऐसे में डाक्टर एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का परामर्श दे सकते हैं।
  • दमे के  उपचार में स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल भी किया जाता है।
  • वैसे तो स्टेरॉइड्स दमे के इलाज में बहुत कारगर होते हैं, पर इनके अनेक साइडइफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
मुख्यतः दो बातें यहाँ साफ़ हो जाती हैं दमे के प्रबंधन के लिए समय पर दवाएं और दमा asthama  के कारकों से बचाव हमें इसके होने वाले घातक परिणामों से बचा सकता है।