ख़ुशी : हर किसी का स्वाभाविक अधिकार है, मगर वृद्धावस्था में कैसे हंसमुख और प्रसन्नचित रहें ?  हर एक के ज़हन में एक बार ये सवाल आता है कि आखिर इस भागमभाग भरी जिंदगी का आखिर मकसद क्या है। क्या हम खुश हैं, क्या हम अपनों को ख़ुश रख पा रहे हैं।ये सवाल तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम बचपन और युवावस्था के बाद आयु के तीसरे पड़ाव में पहुँचते  हैं।

आखिर ये ख़ुशी क्या है ?

खुशी को खुशी की भावना और समग्र संतोष की भावना दोनों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

सामान्य तौर पर, हमें अक्सर एक साधारण सिद्धांत द्वारा निर्देशित किया जाता है, कि खुशी की तलाश करें और दर्द से बचें। खुशी का एक और रूप, जीवन में हमने जो कुछ भी किया है उसका हमारा समग्र मूल्यांकन (हमारा जीवन संतुष्टि का स्तर), जिसमें आत्म-प्रतिबिंब और उनके पूरे जीवन के साथ एक संतोष को निर्धारित करना शामिल है।

खुश रहने के लिए हमें क्या तरीके अपनाने चाहिए ?

हैप्पीनेस यानी प्रसन्नता या आनंद ही है, जो मानव जीवन को सम्पूर्ण बनाता है।जब हम लोग बच्चे होते हैं तो हर छोटी से छोटी बात में प्रसन्नता ढूंढ लेते हैं । लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है हममें हर बात में तनाव महसूस करने की आदत बनती जाती है।

उम्र बढ़ने के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से हमें अधिक संतुष्टि भरा जीवन जीने में मदद मिल सकती है।
लोग अक्सर बुढ़ापे को नकारात्मक दृष्टिकोण से सोचते हैं; जैसे बुढ़ापे का मतलब लोगों के लिए बीमारी, दर्द, कमजोर शरीर, कमज़ोर याददाश्त और संभवतः क्रोधी होना होता है ।

वृद्धावस्था एक ऐसी अवस्था है जब हमारी अधिकतर जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी होती हैं वृद्धावस्था आराम से बैठने और अपने जीवन का आनंद लेने के लिए एक अच्छा समय है। इस समय में आपको उन सभी चीजों को करने की स्वतंत्रता है जो आप करना चाहते हैं।

अपने आप में किस प्रकार बदलाव करें कि हम निरन्तर खुश रह सके?

उम्र बढ़ने पर भी यदि आप एक स्वस्थ शरीर वाले हैं तो निश्चित तौर पर इसमें आपके आनंदंय जीवन  का एक महत्वपूर्ण योगदान है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि प्रसन्न लोग अधिक मजबूत और फिट होते हैं।उचित स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए उचित आहार, नियमित व्यायाम, नियमित मेडिकल चेक-अप और अपने आप को हमेशा खुशहाल बनाये रखना चाहिए।

एक खुशहाल बुजुर्ग अपने को तो स्वस्थ रखता ही है साथ ही वह अन्य लोगों  को भी प्रेरणा देता है। यदि आप भी एक खुशहाल व्यक्तित्व चाहते हैं तो उसकी कुछ टिप्स इस प्रकार हैं –
Tips for happy life

नियमित दिनचर्या बनायें और सक्रिय रहें

अपनी एक नियमित दिनचर्या इस प्रकार बनायें जिससे आप अपने आपको सक्रिय रख पाये।यह सक्रियता आपको स्वस्थ और प्रसन्न बनाएगी। सक्रिय रहने के लिए छोटे छोटे लक्ष्य बनायें जैसे रोज़ २० से २५ मिनट टहलना।

इस आयु में भी कुछ नया सीखने के लिए प्रयासरत रहे

जब व्यक्ति कुछ नया सीखने के लिए प्रयासरत रहता है तो उसकी रचनात्मकता उसे ख़ुशी देती है। इसके कारण व्यक्ति व्यस्त रहता है और व चिंता वाली भावनाओं से भी दूर रहता है।

निरर्थक सोच विचार से दूर रहें

कुछ ऐसी बातें जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है उन पर सोच विचार करते रहना निरर्थक है। ऐसे बातों से दूर रहने के लिए अपने को किसी सकारात्मक कार्य में व्यस्त रखें।

निन्दात्मक व्यक्तित्व से बचें

निंदा से हमें कुछ देर की ख़ुशी मिल सकती है लेकिन जब हम निरंतर निंदा करते रहते हैं  तो इससे हमारी ऊर्जा नष्ट होती है। इसके कारण हम अपने अंदर क्रोध बढ़ा सकते हैं जो हमें शारीरिक नुकसान भी पहुंचा सकता है।

अपने में मस्त रहना सीखें

इस आयु में हो सकता है की हमारे घर के युवा सदस्य हमें समय न दे पायें। जिसका कारण उनका व्यस्त जीवन और जिम्मेदारियां हो सकता है। इसलिए यदि हम अपने को स्वयं के क्रियाकलापों में यदि व्यस्त रखेंगे तो उन लोगों  को भी एक खुशनुमा माहौल दे पाएंगे।

बहस से दूर रहें

जब भी लगे हमारी किसी बात से बहस बढ़ रही है तो शांत हो जाएं। क्योंकि बहस करने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पढ़ सकता है। कहते है की “सबसे भली चुप” यानी एक चुप हज़ार झगडे रोक सकती है। वैसे भी बहस से तनाव ही बढ़ता है।

नई पीढ़ी के विचार से तालमेल बनाएं

यदि आप समय के साथ होने वाले बदलावों को खुले मन से अपना लेंगे तो नई पीढ़ी के साथ तालमेल बनाकर ख़ुशी को निरंतर महसूस कर पाएंगे और आपको उम्र् का अहसास भी नहीं होगा।

नियमित मैडिटेशन अवश्य करें

मेडिटेशन से आपके मानसिक स्वास्थ्य का पोषण होता है। मेडिटेशन का नियमित अभ्यास आपको शारीरिक ऊर्जा भी देता है। यह आपके तनाव को कम करता है याददाश्त सही करता है। इससे आप ख़ुशी और उत्साह को लगातार महसूस कर पाएंगे।

सकारात्मक संगीत रोज़ सुनें

संगीत एक ऐसा माध्यम है जो सभी को एक प्रसन्न मनःस्थिति में ले जाता है। जिस प्रकार का संगीत आपको पसंद है उसे अवश्य सुने। संगीत हमें अकेलेपन  अहसास नहीं होने देता है। संगीत सुनते हुए काम करने पर मन खुश रहता है।

बागवानी करें

बागवानी करने से आप को प्रकृति से निकट रहने का अवसर मिलेगा। पौधों की देखभाल, कटिंग, सिंचाई करते हुए उनका बढ़ना देखने पर मन प्रसन्न रहता है। और आप अपना समय सकारात्मकता के साथ व्यतीत कर सकते हैं।

कुछ समय सूरज की रोशनी में भी बितायें

सुबह या शाम का कुछ समय सूरज की रोशनी में बिताएं। यह आपके शरीर में विटामिन डी की कमी पूरा करता है। सूरज की हल्की धूप आपको तरोताज़ा कर देती है।

शारीरिक स्वास्थ्य किस प्रकार ख़ुशी में सहायक है ?

ये सच है कि आपका शारीरिक स्वास्थ्य आपके खुश रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सन्तुलित आहार, संतुलित निद्रा, व्यायाम, सूर्य की रोशनी और मित्रों के संपर्क में रहें।

निष्कर्ष| conclusion :

यह जानना महत्वपूर्ण है कि वृद्धावस्था आपके जीवन का बेहद खुशहाल समय हो सकता है, ताकि हम अपने जीवन में इस पुरस्कृत समय का आनंद लेने के लिए स्वस्थ आदतों और अच्छे दोस्तों के साथ इसकी तैयारी करें।
वृद्धावस्था के बारे में हमारा दृष्टिकोण वृद्धावस्था में हम जो अनुभव करेंगे, उसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  उम्र बढ़ने के बारे में नकारात्मक धारणा न रखें। उम्र बढ़ने के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने पर आप एक सफल रोल मॉडल बनेंगे। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे कई चुनौतियाँ आ सकती हैं, लेकिन वृद्धावस्था हमारे जीवन में सबसे अधिक खुशी और खुशी का समय हो सकती है।