युवा और बूढ़े लोग समाज के दो अलग-अलग समूह हैं जो मिलकर समाज को पूरा करते हैं। दोनों के व्यवहार, उनकी पसंद, नापसंद और उनके स्वभाव भिन्न होते हैं। कई अलग-अलग तरीके हैं जिनमें वे भिन्न हैं, लेकिन साथ में वे एक दूसरे के पूरक हैं। आखिर हैं तो एक ही सिक्के के दो पहलू  क्योंकि आज का युवा कल वृद्ध भी होगा और आज का वृद्ध बीते हुए कल में युवा था।
दोनों के बीच एक प्राथमिक अंतर यह है कि युवा आमतौर पर भविष्य में जीते हैं, जबकि पुराने लोग अधिकांशतः अतीत में रहना पसंद करते हैं।

युवा और बूढ़े लोगों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण

किसी बड़े व्यक्ति से बात करते समय आप पाएंगे, कि वे अतीत में या यादों की बातें बताते हैं जब वे छोटे थे। आमतौर पर, जब कोई बच्चा अपने दादा या दादी के साथ समय बिता रहा होता है, तो वे उन्हें अतीत से कहानियां सुना सकते हैं या पुराने समय में क्या होता था ये बता सकते हैं यानि कि जब वे उनके पोते की उम्र के थे तो जीवन कैसा था। पुराने लोगों के लिए पुराने एल्बम या पुरानी तस्वीरों को तब देखना आम बात है जब वे छोटे थे।

भिन्न दृष्टिकोण के कारक

हालांकि, युवा लोगों के पास बहुत समय होता है क्योंकि उनके सामने खुद का भविष्य होता है। इसलिए, युवा लोग आमतौर पर भविष्य में रहते हैं क्योंकि उनके पास आगे बढ़ने या सपने देखने और आकांक्षा करने के लिए बहुत कुछ है जो वे हासिल करना चाहते हैं।
पुराने लोगों ने पहले से ही अपने अधिकांश लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है या अपनी अधिकांश आकांक्षाओं को पूरा किया है, इसलिए वे अक्सर वर्तमान के साथ संतुष्ट रहते हैं और उदासीन चीजों में आराम पाते हैं।

स्वच्छंदता बनाम निकटता

अपने स्वभाव में अंतर के लिए, युवा लोग स्वतंत्र दिखने के लिए अपने परिवार से दूर रहना पसंद कर सकते हैं। छोटे लोगों को स्वतंत्रता, परिपक्वता या खुद को साबित करने के लिए घर छोड़ने की इच्छा हो सकती है।
हालाँकि, बुजुर्ग व्यक्ति परिवार से घिरा रहना पसंद करता है क्योंकि उसके लिए यह परिवार ही उसकी पूँजी होता है।  और वे अपने बच्चों और पोते-पोतियों में अपने अतीत को जीते हैं।

बुजुर्गों की विरासत उनका परिवार

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वृद्धावस्था पर एक शोध के अनुसार  “लगभग नौ में से 10 वयस्क जिनकी उम्र 65 और उससे अधिक है के बच्चे हैं। इस समूह में से आधे से अधिक हर दिन एक बेटे या बेटी के संपर्क में हैं। ”
तो जीवन के इस पड़ाव में मनुष्य यह समझता है कि, उनका परिवार ही उनकी विरासत है और यह उन्हें उनके अतीत की याद दिलाता है। यह उन्हें खुशी देता है क्योंकि भविष्य में उनके पास उतने लक्ष्य नहीं हो सकते हैं, इसलिए उनका परिवार उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, वृद्धावस्था में व्यक्ति अपने बच्चों या पोते-पोतियों  के साथ रहना चाहता है।

युवाओं के लिए बुजुर्गों के अनुभव का खज़ाना

युवा और वृद्ध के बीच एक और महत्वपूर्ण अंतर जीवन पर उनका दृष्टिकोण है। बुद्धि आमतौर पर किसी बुजुर्ग व्यक्ति के साथ जुड़ी होती है उसके जीवन के अनुभव के कारण, और यह निश्चित रूप से सच है। युवा लोग जीवन में बहुत अनुभवी नहीं हैं, जबकि बुजुर्ग लोग बहुत अनुभवी हैं क्योंकि वे पहले ही जीवन के उन चरणों से गुजर चुके हैं जहाँ युवाओं को अभी जाना है।

कहावतें

जैसा किएक अंग्रेजी कहावत है “You live and you learn ” मतलब, “आप जीते हैं और आप सीखते हैं।” इसलिए, वृद्ध लोग अधिक अनुभवी होते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा है। और उनके पास एक छोटे व्यक्ति की तुलना में अधिक ज्ञान है, जिसका सीधा सम्बन्ध इस अनुभव की कमी हो सकती है।
यही कारण है कि कई बार युवा लोग अपने जीवन से संबंधित किसी महत्वपूर्ण मामले में अपने बड़ों से सलाह ले सकते हैं, जैसे कि माता-पिता, दादा-दादी या शिक्षक के रूप में।

अनुभव और बुढ़ापे पर विश्व के सभी हिस्सों में कुछ कहावतें प्रचलित हैं :-

If you refuse the elder’s advice you will walk the whole day.” (Tanzania).

यानी अगर आप किसी  बड़े की सलाह नज़रअंदाज़ करते हो तो आपको दिनभर चलना पड़ता है। (तंज़ानिया)

When an old man dies, a library burns to the ground.“(African Proverb)

“हर बूढ़ा आदमी जो मरता है वह एक पुस्तकालय है जो जलता है।”(अफ्रीकन कहावत)

“One gets more from years of experience than books.”(Sayings)

एक व्यक्ति किताबों की तुलना में सालों के अनुभव से ज़्यादा पा सकता है। (कहावत)

यह उस बुद्धिमत्ता को दर्शाती हैं जो एक वृद्ध व्यक्ति के पास वर्षों से प्राप्त ज्ञान और सबक के कारण हो सकता है।

एक शायर ने भी युवाओं की डिग्रीयों और बूढ़ों के अनुभव को लेकर क्या खूब कहा है –

युवा और बूढ़े

साभार : www.shayarimanch.in/

ज़रूरी चीज़ है इक तज़र्बा भी ज़िंदगानी में,

तुझे ये डिग्रीयां बूढ़ों का हम-सिन कर नहीं सकतीं।

यानी सिर्फ किताबी ज्ञान से ज़्यादा महत्त्व अनुभव का होता है।

युवा और बूढ़े में बदलाव को लेकर लचीलापन

बूढ़े लोग जिद्दी हो सकते हैं क्योंकि वे इतने लंबे समय तक रह चुके हैं कि वे बदलाव नहीं देखना चाहते हैं। इसलिए, अक्सर बुजुर्ग व्यक्ति अपने तौर-तरीकों और जीने के तरीके से अलग कुछ नहीं करना चाहता है।

उदाहरण के लिए, जब हम छोटे होते हैं, तो हमारी सोच पानी की तरह होती है यानि जिस प्रकार पानी को जिस बर्तन में डालें वह वैसा ही आकार ले लेता है उसी प्रकार बाल-मन होता है। हम उसे जो वातावरण देंगे या सिखाएंगे वह वैसे ढल जाता है। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं सोच का यह लचीलापन कम होने लगता है। और वृद्धावस्था में कोई व्यक्ति एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाता है जहां उसने अपनी एक पहचान और सोचने का तरीका निर्धारित कर लिया होता है।

एक कहावत भी है की “सूखी लकड़ी मोड़ी नहीं जाती” सूखी लकड़ी काअभिप्राय यहाँ वृद्ध व्यक्ति से है।
वृद्ध व्यक्ति, कम लचीले होते हैं और अनुकूलन के लिए कम तैयार होते हैं। हालाँकि, वे अभी भी खुले हैं और अन्य लोगों के विचारों का सम्मान कर सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं समझा जाना चाहिए कि वे अपने जीवन जीने के तरीके को बदल देंगे।

शारीरिक क्षमता

शारीरिक क्षमताओं की बात करें तो युवा लोग शारीरिक रूप से अधिक सक्षम होते हैं। जबकि बुजुर्गों की शारीरिक क्षमताएं क्षीण पड़ने लगती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता के क्षीण होने के चलते वे रोगों के प्रति भी अधिक संवेदनशील होते जाते हैं। परन्तु ऐसा नियम नहीं है की वृद्ध रोगी और युवा निरोगी हों आजकल की असंयमित जीवनशैली और खानपान ने अनेक युवाओं को स्वास्थय की दृष्टि से बुजुर्गों के समकक्ष लेकर खड़ा कर दिया है। और बुजुर्ग जो संयमित जीवन शैली के साथ जीवन जीते हैं स्वास्थ्य में युवाओं के कहीं आगे हैं।

किसका निर्णय महत्वपूर्ण

अगर जल्द निर्णय लेने की क्षमता युवाओं के पास ज़्यादा बेहतर है तो वृद्धों के अनुभव और पूर्व में सामान परिस्तिथियों का सामना कर चुकने के कारण उनके पास नाज़ुक परिस्तिथियों में भी संयमित निर्णय लेने की क्षमता उनके परिपक्व और स्थिर व्यक्तित्व का महत्त्व दर्शाते हैं।

कुल मिलाकर युवा और बूढ़े यानी वृद्धावस्था और युवावस्था दोनों ही कई अलग-अलग तरीकों से भिन्न हैं, लेकिन वे एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रत्येक समूह दूसरे से सीख सकता है क्योंकि उनके पास अपनी-अपनी ताकत और कमजोरियां हैं। उदाहरण के लिए, जब जीवन के किसी विषय में कोई सलाह मांगने की बात आती है, तो मैं माता-पिता के पास जा सकता हूं, लेकिन जब स्मार्ट-फोन के या ऑनलाइन-बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग की बात आती है तो मेरी दादी मेरे पास आ सकती हैं। इसलिए, प्रत्येक एक-दूसरे का पूरक है और दूसरे की मदद करता है।