स्ट्रेचिंग यानी खींचना, या तनाव उत्पन्न करना, शरीर में व्यायाम के रूप में खिंचाव शरीर की गतिशीलता में बहुत फायदेमंद है और लचीलेपन के लिए भी बहुत ज़रूरी।
शरीर में लचीलापन बहुत सारी दिक्कतों और तकलीफों को शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर सकता है। शरीर में लचक लाने के लिए कभी भी आप प्रयास शुरू कर सकते हैं। वाकई अगर आप ईमानदारी से प्रयास करते हैं। शरीर के मांसपेशियों में बेहतर लचक प्राप्त कर सकते हैं।
वास्तव में यदि आप एक बुजुर्ग हैं, और बेहतर लचीलापन, स्वतंत्रता और गतिशीलता पाने के इक्षुक हैं, तो स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। इससे न केवल आपका गिरने और चोटों से बचाव होगा बल्कि यह आपको चोटों से उभरने में भी मददग़ार होगा।
जैसा की अध्ययन बताते हैं मानव मांसपेशियां समय के साथ अपनी लचक 50 प्रतिशत तक खो देती हैं। चूँकि लचीलेपन का यह विघटन इतना धीमा होता है कि आप कभी ध्यान ही नहीं देते। बस एक दिन तब जब आप नीचे पड़ी कोई चीज़ झुक कर उठा रहे होते हैं या उठ रहे होते हैं, एक तेज़ दर्द का एहसास जो आपकी कमर, से लेकर पीठ तक जाता है और आप कराह उठते हैं….. आ..आह! उउउफ !
ऐसे में अधिकाँश लोग डॉक्टर, दवा, फ़िजिओथेरपी का सहारा लेते हैं, कुछ दिन सहायक की मदद लेकर रोज़मर्रा के कार्य करते हैं। जो शायद ऐसी दिक्कत होने पर सही भी है।
मगर ठीक होने के बाद फिर वही पुराने ढर्रे पर चल पड़ते हैं। और यह सोचते ही नहीं कि यह क्यों हुआ और हम ऐसा क्या करें कि बार-बार ऐसी परेशानी न हो।
यानी अपने शरीर को और अधिक लचीला बनाएं जिससे ये मोच, नस चढ़ना और इससे होने वाले दर्द और परेशानी से बच सकें। मगर कैसे ?
शरीर को अधिक लचीला बनाएं : स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज(बुजुर्गों के लिए) के द्वारा
अध्ययन बताते हैं कि यदि आप अपनी दिनचर्या में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज और आसान से गतिशीलता के व्यायाम को समाहित करें तो इन शरीर के लचीलेपन बनाये रख सकते हैं।
तो चलिए अब जानते कि क्या करें –
स्ट्रेचिंग दो तरह के व्यायाम का मेल होता है:
- स्टैटिक स्ट्रेच जो कि आपके लचीलेपन को बेहतर करती है।
- डायनामिक स्ट्रेच जो की आपकी गतिशीलता के दायरे को बढ़ाता है।
कुल मिलाकर ये दोनों तरह के व्यायाम आपके शरीर को खोलते हैं और अपने शरीर को हल्का और मुक्त महसूस करते हैं।
पहले स्टैटिक स्ट्रेच और डायनामिक स्ट्रेच के अंतर को समझ लेते हैं।
स्टैटिक स्ट्रेच
स्टैटिक स्ट्रेच में हम अपनी मांसपेशियों को 30 सेकेंड या उससे अधिक समय के लिए स्ट्रेच करते हैं यानि खिंचाव देते हैं। इसमें खिंचाव देकर मांसपेशियों को लम्बा करने का प्रयास करते हैं। इसको बहुत ही आराम एवं स्थिरता के साथ किया जाता है। किसी भी तरह के झटके और अतिरिक्त बल का प्रयोग किये बगैर।
इसमें एक बात ध्यान देने की है कि स्टैटिक स्ट्रेच से पहले बॉडी को वार्मअप करना ज़रूरी है।
डायनामिक स्ट्रेच
इस तरह की स्ट्रेच में भी मांसपेशियों के एक समूह को खिंचाव दिया जाता है, मगर अधिक सक्रिय तरीके से ऐसा किया जाता है।
इसमें रोज़मर्रा के साधारण प्राकृतिक मूवमेंट्स की नकल की जाती है। इसका उद्देश्य मांसपेशियों के खिंचाव के साथ-साथ रक्त के प्रवाह को भी पम्प किआ जाता है।
अपने गति के दायरे को बढ़ने के लिए और स्टैमिना इम्प्रूव करने के लिये भी यह बहुत अच्छा है।
स्ट्रेचिंग बैंड्स
अगर आपको लगता है कि आपके लिए कुछ एक्सरसाइज असंभव हैं आप स्ट्रेच नहीं कर पाएंगे, तो घबराइए नहीं !
आप स्ट्रेचिंग बैंड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। स्ट्रेचिंग बैंड्स मामूली कीमत का एक बैंड होता है जिसे आप अपने शरीर के उन पार्ट्स के ऊपर लपेट लेते हैं जिनका लचीलापन आप बढ़ाना चाहते हैं। इनके इस्तेमाल के बारे में हम आगे बताते हैं।
अब यहाँ हम कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज / व्यायाम बताने जा रहे हैं जो नियमित रूप से किये जाएँ तो बुजुर्गों के लिए आसान और बहुत ही फायदेमंद हैं।
नोट: किसी भी तरह की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज को करने से पहले 5 से 10 मिनट वॉर्मउप ज़रूर करें। जैसे तेज़ क़दमों से टहलना, स्कूल में की जाने वाली पी. टी. एक्सरसाइज करना।
स्ट्रेच एक्सरसाइज
नेक साइड स्ट्रेच (गर्दन की स्ट्रेच)
बुज़ुर्गों द्वारा करने के लिए यह सबसे सरल और अच्छी एक्सरसाइज है।
यह गलत तरीके से सोने या सही तकिया न होने के कारण होने वाले गर्दन और कन्धों में उत्पन्न ऐंठन को ढीला करने के लिए बेहतरीन एक्सरसाइज है।
एक कुर्सी पर सीधे होकर बैठें, धीरे से अपना सर एक तरफ झुकाएं फिर दूसरी तरफ गर्दन के वार्मअप के लिए।
अब अपना दाहिना हाथ ऊपर उठायें और अपने सिर के ऊपर से लाते हुए हथेली को बाएं कान पर टिकाएं।
आहिस्ता से अपन सिर को दाएं कंधे की तरफ झुकाएं (ऐसा बहुत ही आहिस्ता से करें, अपना हाथ रखने की वजह से आपको गर्दन में खिंचाव के लिए पर्याप्त वज़न और खिंचाव भी महसूस होगा।)
20 से 30 सेकेण्ड के लिए रोकें फिर दूसरी तरफ यही प्रक्रिया दोहराएं।
शोल्डर एंड अपर बैक स्ट्रेच
आपने महसूस किया होगा कि कभी कभी आपको सीधा खड़ा होने में असहज महसूस होता है और ऐसा लगता है जैसे पीठ अकड़ गयी है। हाँ, अक्सर ऐसा अधिक देर तक बैठे रहने के कारण होता है, जिस कारण आपके कंधे और ऊपरी पीठ की मसल्स आगे की तरफ झुक जाते हैं।
अधिक समय तक नज़रअंदाज़ करने पर आप सीधा खड़े होने में मुश्किल पैदा करता है क्योंकि मांसपेशिओं कूबड़ की स्थिति में आने लगती हैं।
यह शोल्डर स्ट्रेच इस मांसपेशियों को ढीला करता है और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बढ़ाता है।
इसके लिए सीधे खड़े हो जाएँ, दोनों बाहें बराबर में रक्खें।
फिर आहिस्ता से हाथों को पीछे ले जाएँ, हाथों के पीछे जाते ही अपने कन्धों को भी पीछे खींचें।और अपनी उँगलियों को आपस में फँसायें।
अगर आप अच्छा तनाव महसूस रहे हैं तो यही रुकें, और अगर आप आगे कर सकते हैं तो अपने बंधे हुए हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं, और पीछे की तरफ झुकें।
सीधे खड़े हों और दोहराएं।
ट्राइसेप्स स्ट्रेच
इस व्यायाम को खड़े होकर या बैठकर किया जा सकता है, इस व्यायाम से बाँहों और पीठ के ऊपरी हिस्से के लचीलेपन और गतिशीलता में सुधार लाया जा सकता है।
चाहे कुर्सी पर बैठें या खड़े होकर करें पर पीठ सीधी रक्खें।
अपने दाहिना हाथ सिर के ऊपर ले जाएँ और कोहनी से मोड़ें।
अपने दूसरे हाथ से कोहनी को पकड़ें और विपरीत दिशा में आहिस्ता से खींचे। आपको अपने हाथ के पीछे की तरफ हल्का खिंचाव महसूस होना चाहिए।
20 से 30 सेकेंड के लिए इस स्थिति में रहें फिर हाथ बदल कर यही प्रक्रिया दोहराएं।
बैक स्ट्रेच
पीठ का यह खिंचाव रीढ़ के लचीलेपन और गतिशीलता में वृद्धि करता है। इससे झुके हुए कन्धों में भी फायदा होता है। यह एक डायनामिक स्ट्रेच है और रक्त प्रवाह को भी बढ़ाता है।
सीधे खड़े होकर अपने हाथ अपने कूल्हों पर रक्खें।
पीछे की तरफ आर्क बनाते हुए झुकें, ऊपर की तरफ(आसमान/छत) देखें। 3 सेकेंड तक इसी अवस्था में रहें फिर सीधे खड़े हो जाएं।
इस प्रकार 10 बार दोहराएं।
स्टैंडिंग क्वाड्रिसेप्स स्ट्रेच
क्वाड्रिसेप्स मसल्स (जाँघों की अग्र भाग की मांसपेशियां) में खिंचाव पैदा करके इन मांसपेशियों की लम्बाई बढ़ाता है। अक्सर आगे झुक कर बैठने या कूबड़ बना कर बैठने से यह मसल्स सिकुड़ती हैं जिस कारण आसन (Posture) बिगड़ सकता है।
सीधे खड़े होकर करें।
धीरे-धीरे अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और पीछे की ओर ले जाएं और हाथ से पकड़ें। इस स्थिति में आप अपनी जांघ के आगे वाले हिस्से में खिंचाव महसूस करेंगे।
30 सेकंड के लिए इस स्थिति में रहें फिर दूसरे पैर से दोहराएं।
यदि आपको हाथ से पैर तक पहुँचने में परेशानी हो तो स्ट्रेचिंग बैंड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
नोट : सहारे के लिए कुर्सी के पीछे वाला हिस्सा या मेज़ का ऊपरी हिस्से खाली हाथ रख सकते हैं।
एड़ी घुमाएं
कमज़ोर एड़ियां और उनका कठोरपन हमारे शरीर के संतुलन के लिए बहुत ही जोखिम भरा है।
एड़िओं का बेहतर लचीलापन हमें गिरने और लड़खड़ाने से बचाने में एक बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है।
इसे करने के लिए एक कुर्सी पर सीधे होकर बैठें, बाएं पर को ज़मीन पर रखते हुए दाहिने पैर को सामने फैलायें।
अब दाहिने टखने को घुमाएं 15 से 20 बार घड़ी की सुई की दिशा में और 15 से 20 बार इसकी विपरीत दिशा में घुमाएं।
अब इस पैर को नीचे रखकर दूसरे पैर से दोहराएं।
सीटेड हिप स्ट्रेच
कूल्हों में अधिक कठोरता की वजह से बहुत सारी सामान्य गतिविधियों में भी असुविधा होती है। यह कूल्हे के खिंचाव का व्यायाम कूल्हों को लचीलापन बेहतर करता है और गतिशीलता की सीमाओं को भी बढ़ाता है।
सबसे पहले कुर्सी पर सीधे और स्थिर होकर बैठें।
अपने दाहिने पैर को बाएं पैर के ऊपर रक्खें इस तरह कि दाहिना टखना बाएं पैर के घुटने के ऊपर हो।
अब दाहिने कूल्हे को आराम दें, इस तरह गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंचाव पड़ता है, जिस कारण आप अपने कूल्हे में खिंचाव महसूस करते हैं।
स्ट्रेच (खिंचाव) को बढ़ाने के लिए अपने दाहिने घुटने पर हाथों से हल्का दबाव बना हैं।
लगभग 30 सेकंड तक इसी अवस्था में रहे फिर पैर बदलकर करें।
कैट-काउ पोज़
यानी बिल्ली-गाय मुद्रा, यह एक डायनामिक स्ट्रेच है और रीढ़ का लचीलापन और गतिशीलता बढ़ाने में बहुत सहायक है।
अपने चारों भुजाओं (दोनों पैर एवं दोनों हाथ) के बल ज़मीन पर घुटनों के बल चलने वाली मुद्रा बना लें।
ध्यान दें कि हाथ कन्धों की सीध में एवं पैर कूल्हों की सीध में रहें। यदि घुटनों के बल बैठने में असुविधा हो तो तौलिया है पैड रख सकते हैं।
एक मुद्रा बनाने के लिए अपनी रीढ़ को झुकाते हुए, अपने सिर और छाती को ऊपर उठायें, सांस खींच कर रुकें।
अब सांस छोड़ते हुए अपने पेट को ऊपर की ओर खींचे और सर और गर्दन को नीचे की तरफ गिरते हुए अंदर की तरफ मोड़ें। जैसे सतर्क बिल्ली।
कम से कम 15 से 20 बार दोहराएं।
हैमस्ट्रिंग और पीठ के निचले हिस्से का स्ट्रेच
यह हैमस्ट्रिंग (जांघ की नीचे वाली माँसपेशियाँ) और पीठ के नीचे वाली मांसपेशिओं को स्ट्रेच करने वाला व्यायाम है। जो अधिक देर तक बैठने एवं गलत मुद्रा में बैठने के कारण पीठ एवं हैमस्ट्रिंग में विकार पैदा करता है।
इसके लिए अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाएँ और शुरू करें।
अपने दाहिने पैर को मोड़ें और धीरे-धीरे अपनी छाती तक ले जाएँ।
अपने कन्धों को फर्श पर सपाट रक्खें, फिर अपने दाहिने घुटने के अपने हाथों से पकड़ लें, अगर हाथ से न पकड़ पाएं तो बैंड का सहारा ले सकते हैं। और इसे अपने शरीर की तरफ खींचें।
ऐसा करने से आप पीठ के निचले हिस्से और हैमस्ट्रिंग में खिंचाव महसूस करेंगे।
इसे 30 सेकेंड तक रोकें फिर दूसरे पैर के साथ दोहराएं।
निष्कर्ष
यह व्यायाम अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें और रोज़ करें, आप देखेंगे कि साधारण और सरल सी दिखने वाली स्ट्रेचिंग बहुत कमाल की हैं।
यह किसी भी उम्र में अपने शरीर पर बेहतर नियंत्रण और उन्मुक्त गतिशीलता के लिए बहुत प्रभावकारी हैं। इसे ज़रूर अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें।
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