सबसे प्यारा दोस्त न सिर्फ दो दोस्तों की कहानी है, बल्कि यह बताती है कि जीवन में और सभी संबंधों में छोटी छोटी चीज़ों को नज़रअंदाज़ करना कितना ज़रूरी है। अगर हमें किसी व्यक्ति या सम्बन्ध को समझना है तो बहुत सी छोटी बातों पर बिना प्रतिक्रिया दिए उन्हें दरकिनार करना होगा। अगर सबसे प्यारा दोस्त पाना है तो सबसे प्यारा दोस्त बनना होगा। चलिए कहानी सुनते हैं। नीचे दिए चित्र पर क्लिक करें –
इस कहानी में होता यूँ है कि दो दोस्त रेगिस्तान से गुजर रहे थे।
सफर के दौरान उनमें बहस हो चली, बातों-बातों में बात बढ़ गयी। नतीजतन एक दोस्त ने दूसरे को चेहरे पर थप्पड़ मार दिया।
जिसे थप्पड़ मारा गया, उसे चोट लगी, लेकिन उसने जवाब में बिना कुछ कहे रेत में लिखा:
“आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा।”
अब रेगिस्तान में तब तक चलते रहे जब तक कि उन्हें नखलिस्तान नहीं मिला। वहां के खूबसूरत तालाब और साफ़ पानी को देखकर उनमें स्नान करने की इच्छा हुई, और उन्होंने स्नान करने का फैसला किया।
जिस दोस्त को थप्पड़ मारा गया था, वही दोस्त दलदल में फंस गया और डूबने लगा, लेकिन उसके दोस्त ने उसे बचा लिया।
बचाये जाने के बाद उस दोस्त ने पास की ही एक बड़े से पथ्थर पर इस बार लिखा :
“आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।”
जिस दोस्त ने थप्पड़ मारा और अपने सबसे अच्छे दोस्त को बचाया भी उसने, पूछा मित्र:
“मैंने जब तुम्हे थप्पड़ मारा, तुमने रेत में लिखा और अब जब मैंने तुम्हे बचाया, तुम एक पत्थर पर लिखते हो, क्यों?”
दूसरे मित्र ने उत्तर दिया;
“जब कोई हमें ठेस पहुँचाता है तो हमें इसे रेत में लिखना चाहिए जहाँ माफ़ करने वाली हवाएँ इसे मिटा सकती हैं। लेकिन, जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करता है, तो हमें उसे पत्थर में उकेरना चाहिए, जहां कोई हवा उसे मिटा नहीं सकती। ”
कहानी का नैतिक:
अपने जीवन में उन चीजों को महत्व न दें, न याद रखें जो हमें चोट पहुंचाती हैं, लेकिन किसी के अच्छे कामों को, अच्छी बातों और चीज़ों को हमेशा याद रखें।
साथ ही साथ महत्वहीन सांसारिक चीज़ों के बजाये अपने दोस्त, परिवार और अपनों को महत्त्व दें।