जब तक हमारे पास हमारे जीवन का उद्देश्य न हो तब तक हम जो भी करते हैं, तो हम सालों की मेहनत के बाद भी स्वयं को वहीं खड़ा पाते हैं। कहने का मतलब है हम संतुष्टि का अनुभव नहीं करते।
यही कारण है, समझदार माता पिता अपने बच्चों को हमेशा जीवन का उद्देश्य सही मायनों में समझाना चाहते हैं। ऐसे ही हमारी कहानी में एक पिता अपने पुत्र को एक ख़ज़ाना ढूंढ कर लाने को कहता है। और अपने पुत्र को उसके जीवन का उद्देश्य समझाने का प्रयास करता है। इस बेहद रोचक कहानी को देखने के लिए नीचे चित्र पर क्लिक करें –
एक बार एक बहुत बुद्धिमान व्यक्ति रहता था। वह अपने गाँव का सरपंच था, हर कोई उसका सम्मान करता था और उसके विचारों और सुझावों को अच्छी तरह से माना जाता था। कई लोग सलाह लेने के लिए उनके पास आते थे।
हालाँकि उनका बेटा बहुत आलसी था। वह अपना सारा समय सोने में, और अपने दोस्तों के साथ समय बिताने में व्यर्थ करता था। किसी भी प्रकार की सलाह या धमकी से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। बहुत कोशिशें की गयीं पर वह बिल्कुल भी नहीं बदला।
साल बीतते गए और समय के साथ सरपंच की उम्र होने लगी। जैसे-जैसे वह बुढ़ापे की तरफ बढ़ने लगा, उसे अपने बेटे के भविष्य के बारे में चिंता होने लगी। उसने अहसास हुआ कि उसे अपने बेटे को कुछ ऐसा देना चाहिए ताकि वह भविष्य में अपने और अपने परिवार का ध्यान रख सके।
इसलिए एक दिन सरपंच ने अपने बेटे को अपने पास बुलाया, और कहा कि मेरे बेटे अब तुम बच्चे नहीं हो, अब तुम्हें ज़िम्मेदारियाँ लेनी चाहिए और जीवन को समझना चाहिए। मैं चाहता हूं कि तुम जीवन के वास्तविक उद्देश्य को पाओ और एक बार जब आप इसे पा लो, तो इसे हमेशा याद रखो, जिससे तुम हमेशा के लिए खुशी, और आनंद से भरा जीवन जियोगे।
फिर पिता ने अपने बेटे को एक बैग सौंपा। जब बेटे ने बैग खोला, तो उसमें उसने चार जोड़ी कपड़े, हर मौसम के लिए एक जोड़ा कपडा देखा। यह देखकर हैरान था। उसमें कुछ सूखा अनाज, साग, दाल, थोड़ा पैसा और एक नक्शा भी था।
उसके पिता ने कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम एक खजाना खोजो। मैंने उस जगह का नक्शा तैयार किया है, जहाँ खजाना छिपा है। बस तुम्हें इसे खोजने की आवश्यकता है।
बेटे को पहली बार पिता का यह विचार बहुत अच्छा लगा। उसने सोचा कि उसके पिता ने पहली बार उसे कोई अच्छा उपाय बताया है। इसलिए अगले दिन वह उत्सुकता से खजाने को खोजने के लिए एक यात्रा पर निकल पड़ा।
उसे वास्तव में बहुत मुश्किल रास्तों से होकर जाना था, ऊँचे पहाड़, मुश्किल पठार, रेगिस्तान, दरिया, घने जंगल। दिन सप्ताह में बदल गए और सप्ताह महीनों में बदल गए। रास्ते में वह बहुत से लोगों से मिला। उन्होंने उसकी अलग अलग तरीके से मदद की, कुछ ने उसे भोजन कराया कुछ ने उसे आश्रय प्रदान किया।
उसका सामना लुटेरों से भी हुआ, जिन्होंने उसे लूटने की कोशिश की, और ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने उसे धोखा देने की कोशिश की। उसने सफर के दौरान मानवता का सबसे अच्छा रूप भी देखा और सबसे बुरा अनुभव किया। धीरे-धीरे मौसम बदलता गया, और इसी तरह से परिदृश्य भी बदलते रहे। जब मौसम अप्रिय होता, तो वह कुछ दिन के लिए रुक जाता, और सही होने पर अपनी यात्रा जारी रखता। इस तरह एक साल के लम्बे सफर के बाद वह अपने गंतव्य पर पहुंच गया। यह एक पहाड़ी की चोटी पर रखी चट्टान थी और नक़्शे के अनुसार चट्टान के सामने जो पेड़ था उसके नीचे खजाना था, पेड़ के पास से खोदना शुरू किया, धीरे-धीरे पेड़ के चारों तरफ खोद डाला, तीन दिन तक खोदता रहा, ढूंढता रहा लेकिन कुछ भी नहीं मिला। वह तीन दिनों तक खजाने की तलाश करता करता इतना थक गया की उसने यह विचार छोड़ने का फैसला किया। उसे अपने पिता की बात झूठ लगने लगीं और वह निराश होकर वह वापस अपने घर की ओर चल पड़ा।
वापस अपने रास्ते पर उसने उसी बदलते परिदृश्य और मौसमों का अनुभव किया। हालांकि इस बार वह वसंत में खिलने वाले फूलों और प्रकृति की सुंदरता को निहारता चला, वह मानसून में नृत्य करने वाले पक्षियों का आनंद लेने के लिए रुक जाता। वह स्वर्णिम सूर्यास्त के सौंदर्य को देखने लिए देखने के लिए, या सुखद गर्मियों की शाम का आनंद लेने के लिए स्थान-स्थान पर रुकता रहा।
इस बीच जब उसका भोजन समाप्त हो चला, तब तक उसने शिकार करना भी सीख लिया, और अपने भोजन की व्यवस्था स्वयं करने का अभ्यस्त हो गया। उसने यह भी सीखा कि अपने कपड़े कैसे सिलना है, और रात बिताने लिए खुद को सुरक्षित आश्रय कैसे देना है। वह अब सूर्य की स्थिति से ही दिन के पहर को निर्धारित करना सीख चुका था और उसी के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाने में सक्षम हो गया था। उसने जंगली जानवरों से खुद को बचाने का तरीका भी सीखा।
वापस आते समय वह उन्हीं लोगों से फिर मिला, जिन्होंने सफर की शुरुआत में उसकी मदद की थी और अब वह उनके साथ कुछ दिनों तक रहा, और उसने किसी न किसी तरह से उनकी मदद करने की कोशिश भी की क्योंकि उसने महसूस किया कि उन लोगों ने निस्वार्थ भाव से उस साधारण राहगीर की मदद की थी, जिसके पास बदले में उन्हें देने के लिए कुछ भी नहीं था।
जब वह घर पहुंचा, तब उसे एहसास हुआ कि उसे वहाँ से गए हुए दो साल हो गए थे। वह सीधे अपने पिता के कमरे में चला गया। पिता जी, उसने आवाज़ दी। पिता बेटे को देखते ही दौड़ते हुए आये, और अपने बेटे को गले लगा लिया कि तुम्हारी यात्रा कैसी थी मेरे बेटे? क्या तुम्हे खजाना मिल गया? उन्होंने पूछा।
यात्रा आकर्षक पिता थी, लेकिन मुझे माफ कर दो क्योंकि मुझे पहुंचने में शायद थोड़ी देर हो गयी मुझसे पहले शायद खजाना किसी और को मिल गया।
बेटा स्वयं पर आश्चर्यचकित था कि वह यह क्या कह रहा है वह उसके पिता से नाराज नहीं था, बजाय नाराज़ होने के वह माफी मांग रहा था।
तभी पिता ने कहा मेरे बेटे पहली बात तो यह कि कोई खजाना नहीं था, पिता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
लेकिन आपने मुझे इसे खोजने के लिए क्यों भेजा?
हां, मैं तुम्हें ये जरूर बताऊंगा, लेकिन इससे पहले बीटा यह बताओ कि आपकी यात्रा कैसी थी, क्या तुमने इसका आनंद लिया?
बेशक नहीं, जाते समय मेरे पास समय नहीं था। मुझे चिंता थी कि किसी और को मुझसे पहले खजाना न मिल जाय, मैं तो बस अपने लक्ष्य तक पहुंचने की जल्दी में था।
लेकिन अपने घर वापस आते समय मैंने यात्रा का आनंद लिया। मैंने कई दोस्त बनाए, और हर दिन कुछ नया चमत्कार देखा। मैंने बहुत सारे अलग-अलग कौशल, और जीवित रहने की कला सीखी। अपनी यात्रा के दौरान मैंने इतना कुछ सीखा कि, इसने मुझे खजाने को न पाने के दर्द को भुला दिया।
पिता गहरे संतोष और हर्ष के साथ कहते हैं, वास्तव में मेरे बेटे, मैं बस यही चाहता हूँ कि तुम अपने जीवन में एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ो, लेकिन अगर तुम सिर्फ लक्ष्य पर बहुत अधिक केंद्रित रहते हो, तो तुम जीवन के असली खजाने को याद देख ही नहीं पाओगे।
सच्चाई यह है कि जीवन का कोई बाहरी लक्ष्य नहीं है, केवल इसे अनुभव करना, और जीवन की हर एक चीज के साथ स्वयं का विकास ही इसका एकमात्र लक्ष्य है।
The purpose of life is to live it, to taste experience to the utmost,
to reach out eagerly, and without fear for newer and richer experience
-Eleanor rooseveltजीवन का उद्देश्य इसे जीना है,
पूरी तन्मयता से इसे अनुभव करने के लिए,
जीवन के नए और भरपूर अनुभवों को बिना,
किसी डर के संपूर्ण जिजीविषा के साथ जीना
-एलेनोर रूज़वेल्ट