जीवन का मूल्य क्या है ?

जीवन का मूल्य ! ये अपने आप में एक ऐसा प्रश्न है। जिसके बारे में पूछे जाने पर हम सभी सोच में तो पड़ ही जाते हैं। यूँ तो इसके बहुत सारे जवाब हो सकते हैं।

और सच कहूँ तो हर व्यक्ति के लिए यह अलग-अलग हो सकता है। क्योंकि यह आपकी सोच पर निर्भर करता है। और आपकी सोच निर्भर करती है आपके परिवेश पर। यानी आपके आसपास के लोगों को देख – सुनकर आपके द्वारा तय की गयी सीमाओं पर। तो इसका मतलब है कि सीमाओं को यानि इस दायरे को बढ़ाया जा सकता है।

हमारी ये कहानी एक पिता द्वारा उसके पुत्र को बहुत ही अनोखे तरह से जीवन का मूल्य समझाने की कहानी है। कहानी देखने के लिए नीचे चित्र पर प्ले बटन पर क्लिक करें –

एक दिन एक बेटा अपने पिता के पास जाता है और कहता है: पिता … मेरे जीवन का मूल्य क्या है?
और पिता उसे एक पत्थर देते हैं और कहते हैं: बेटा..यदि तुम अपने जीवन का मूल्य जानना चाहते हो तो इस पत्थर को ले लो और बाजार में जाओ, और अगर कोई भी कीमत पूछता है तो एक शब्द न कहना बस दो उंगलियां उठा देना।
तो लड़का अपने पिता के कहे अनुसार करता है और बाजार में घूमता है, और अचानक एक बूढ़ी औरत उसके पास आती है और कहती है कि यह पत्थर कितने का है?
लड़का कुछ नहीं कहता सिर्फ दो उंगलियां ऊपर उठाता है।
महिला कहती है: 2 रुपये ? मैं इसे खरीद लेती हूँ।
बेटा आश्चर्यचकित है और अपने पिता के पास वापस चला जाता है और कहता है कि बाजार में एक बूढ़ी औरत थी जो मुझे पत्थर के लिए दो रुपये देना चाहती थी।
पिता कहता है: बेटा .. अगली जगह मैं चाहता हूं कि तुम संग्रहालय जाओ और अगर कोई भी कीमत मांगे, तो एक शब्द भी मत कहना और दो उंगलियां उठाना।
इसलिए बेटा पत्थर लेकर संग्रहालय में जाता है। लगभग बीस मिनट के बाद मध्यम आयु वर्ग का व्यक्ति आता है जो उस लड़के से कहता है: सर ! पत्थर कितने का है।
लड़का एक शब्द भी नहीं कहता है और दो उंगलियां उठाता है।
और आदमी कहता है: 200 रूपये ? इसे मैं खरीदना चाहूंगा।
लड़का हैरान हो गया और अपने पिता के पास आया।
वह कहता है: पिता जी, संग्रहालय में एक आदमी 200 रूपये में पत्थर खरीदना चाहता था।
पिता कहता है: ठीक है, बेटा! अब मैं चाहता हूँ की तुम इस पत्थर को ले जाओ एक जौहरी की दूकान पर, यह पत्थर लेकर अंदर जाना, और अगर कोई भी कीमत पूछता है, तो एक शब्द भी न कहना, बस दो उंगलियां ऊपर उठा देना।
तो बेटा जौहरी की दुकान पर जाता है, अंदर जाकर देखता है कि काउंटर पर एक बूढ़ा आदमी है, और जैसे ही वह बूढ़ा व्यक्ति पत्थर को देखता है, वह उछल पड़ता है और चिल्लाता है: ओह! हे भगवान! तुम्हारे पास इतना कीमती पत्थर जो मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी से ढूंढ रहा हूँ !, तुम इसके लिए क्या चाहते हो, यह कितने का है?
लड़का एक शब्द भी नहीं कहता और दो उंगलियां उठाता है।
और बूढ़ा आदमी कहता है: 200,000 रूपये? मैं इसे ख़रीदता हूँ।
लड़का को विश्वास नहीं होता। वह कूद कर अपने पिता के पास जाता है।
वह कहता है: पिता जी, पिता जी … जौहरी की दुकान में एक बूढ़ा आदमी मुझे पत्थर के लिए 200,000 रूपये देना चाहता था।
पिता कहते हैं: , देखा बेटा, कुछ समझे! अब तुम्हारे जीवन का मूल्य है? सच तो यह है कि, जीवन में आप अपना स्थान स्वयं तय करते हैं, आप यह तय कर सकते हैं कि क्या आप 2 रूपये का पत्थर या 200,000 रूपये का पत्थर बनना चाहते हैं।
इस दुनिया में कुछ लोग हैं, जो आपसे प्यार करते हैं और जिनके लिए आप सब कुछ हैं, और कुछ लोग सिर्फ एक वस्तु के रूप में आपका उपयोग करेंगे, और उनके लिए आपकी कीमत कुछ भी नहीं। इसलिए यह आप पर है, कि आप अपने जीवन का मूल्य तय करें।
जी हाँ, यह आप पर है कि, आप अपना मूल्य स्वयं तय करें।

देखने के लिए धन्यवाद और धन्य रहें।

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