जीवन का खेल, जी हाँ, जीवन भी तो एक खेल ही है। सच तो ये है कि जीवन आपके लिए वैसा ही है जैसा आप इसे सोचते हैं।
मगर इसे खेल की तरह देखें तो यह वाकई मज़ेदार हो जायेगा। जैसे हर खेल नियम कायदे होते हैं, वैसे ही इसके भी अपने नियम कायदे हैं। और जैसे खेल में लोग नियम कायदे ताक पर रख कर बेईमानी करते हैं वैसे ही जीवन में भी कई बार लोग नियम कायदे भुलाकर मनमानी करते हैं। तब हमें भी अपने खेल के तरीकों में कुछ बदलाव करने ज़रूरी हो जाते हैं। अरे भई, हम भी कोई हारने के लिए थोड़े ही खेल रहे हैं। तो बस, हमारी आज की इस बेहद रोचक कहानी हम देखते हैं कि खिलाड़ी कैसे अपनी हार को जीत में बदलते हैं –
जीवन का खेल – एक इतालवी कहानी
एक बार इटली के एक छोटे से शहर में एक व्यापारी ने साहूकार से काफी बड़ी रकम उधार ली जिसे वह समय से चुका न पाया और व्यापार में नुक्सान होने के कारण वह इस स्थिति में भी नहीं था कि जल्द ही उधार चुका पाए। साहूकार, जो एक बूढ़ा और मक्कार व्यक्ति था, की नज़र व्यापारी की सुंदर बेटी पर थी।
इसलिए उसने सौदेबाजी का प्रस्ताव रखा। उसने व्यापारी से कहा कि अगर वह अपनी बेटी की शादी उससे कर दे तो वह व्यापारी का कर्ज़ माफ़ कर देगा।
व्यापारी और उसकी बेटी दोनों प्रस्ताव से भयभीत थे।
उनके चेहरों का उड़ा रंग देख साहूकार ने उन्हें एक तरकीब बताई कि वह इसे किस्मत पर छोड़ देते हैं, और इसे एक खेल की तरह करते हैं।
इस खेल में वह खाली बैग में एक काला कंकड़ और एक सफेद कंकड़ डाल देगा। लड़की को बैग में से एक कंकड़ उठाना होगा। अगर वह काली कंकड़ उठा लेती, तो वह साहूकार की पत्नी बन जाएगी, और उसके पिता का कर्ज़ माफ हो जायेगा। अगर उसने सफेद कंकड़ उठाया, तो उसे उससे शादी करने की जरूरत नहीं होगी, मगर उसके पिता का कर्ज़ अभी भी माफ किया जाएगा।
लेकिन अगर उसने एक कंकड़ उठाने से इनकार कर दिया, तो उसके पिता को जेल में डलवा दिया जाएगा।
जिस समय वह यह बात कर रहे थे, वे व्यापारी के बगीचे में एक कंकड़-पत्थर वाले रास्ते पर खड़े थे।
शर्त के बारे में बात होने के बाद साहूकार दो कंकड़ लेने के लिए नीचे चुका। जैसे ही उसने कंकड़ उठाये, लड़की ने अपनी तेज़ नज़रों से देखा कि उसने दो काले कंकड़ उठाए हैं, और उन्हें बैग में डाल दिया है। फिर उसने लड़की को बैग से अपना कंकड़ चुनने को कहा।
लड़की ने घबराहट के साथ अपना हाथ बैग में डाल दिया, और उसने देखे बिना एक कंकड़ बैग से निकाल लिया। मगर इससे पहले कि वह अपनी मुट्ठी खोलती, वह हड़बड़ाहट में लड़खड़ा गई और उसके हाथ से कंकड़-पत्थर वाले रास्ते पर गिर गया, जहाँ वह अन्य कंकड़ों के बीच में मिल गया।
अब लड़की ने सँभलते हुए कहा ओह, मैं भी कितना अनाड़ी हूं, लेकिन कोई बात नहीं, चलो हम बैग में बचे हुए कंकड़ को देखते हैं, तब हम समझ जाएंगे कि मैंने कौन से रंग का कंकड़ उठाया था।
तो देखा आपने ! बिल्कुल ऐसी ही परिस्थितियां कभी-कभी हमारे जीवन में आती हैं, जब हमें दायरे से बाहर होकर सोचना ज़रूरी होता है। कभी-कभी इस ज़िन्दगी में खेल के नियमों को मोड़ना आवश्यक होता है।
खासतौर पर यदि कोई आपको धोखा देने की कोशिश करता है, आपके साथ मक्कारी करता है। तो इसके बारे में सतर्क रहें, होशियार रहें। और अपनी आँखें खुली रखें।
कभी-कभी हमारे पास एक मात्र आशा के रूप में हम स्वयं होते हैं। तब हमें अपना साहस, और विवेक बनाये रखना होता है। यही जीवन है।