डिप्रेशन (अवसाद) एक ऐसा मानसिक रोग है जो तनाव से अलग है। इस रोग से पीड़ित रोगी विवेकशून्य और निराश हो जाता है। उसे अपना जीवन व्यर्थ लगने लगता है।
साल २०२० जिसने पुरे विश्व को इस समय कोरोना महामारी से ग्रसित किया हुआ है ऐसे समय जब अचानक दुनिया की गति रुक गयी है। भारत में एक लम्बे लॉकडाउन के कारण अनेक उद्योग प्रभावित हो गए हैं लोगों का रोज़गार छिन गया है।
ऐसे में कई साधारण जनमानस के अलावा कुछ प्रसिद्द चेहरे डिप्रेशन (अवसाद) से ग्रसित होकर आत्महत्या जैसा कदम उठा चुके हैं। ऐसे में ये अनुमान लगाया जाना चाहिए कि न जाने कितने लोग डिप्रेशन (अवसाद) रोग के शिकार हो गए हैं।
‘मानसिक दर्द शारीरिक दर्द की तुलना में कम पहचाना जाता है, लेकिन यह अधिक सामान्य है और सहन करना भी कठिन है’ C.S.Lewis
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट केअनुसार भारतीय राष्ट्रीय मेंटल हेल्थ सर्वे साल 2015-16 में बीस में से एक भारतीय को डिप्रेशन (अवसाद) का शिकार पाया गया। जिसमेँ 15 प्रतिशत भारतीयों को मानसिक रोगों से जुड़ी देखभाल की जरुरत है. 2012 में 2.58 लाख आत्महत्याएं दर्ज की गईं। जिनमें से अधिकतर 15-49 उम्र समूह के पाए गए।
WHO में NCMH (नेशनल केयर ऑफ़ मेडिकल हेल्थ) के लिए किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि कम से कम 6.5 प्रतिशत भारतीय आबादी किसी भी तरह के गंभीर मानसिक विकार से पीड़ित है, जिसमें कोई भी ग्रामीण-शहरी अंतर नहीं है।
हालांकि प्रभावी उपाय और उपचार हैं, पर यहां मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक और डॉक्टरों जैसे मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की अत्यधिक कमी है।
भारत में औसत आत्महत्या की दर प्रति लाख लोगों पर 10.9 है और आत्महत्या करने वाले अधिकांश लोग 44 वर्ष से कम उम्र के हैं।लेकिन एकल परिवार परम्परा बढ़ने से बुजुर्गो में भी डिप्रेशन (अवसाद) की समस्या बढ़ रही है। ५ में से १ केस वरिष्ठ व्यक्ति का होता है।
आखिर डिप्रेशन (अवसाद) है क्या?
तनाव एक मानसिक अवस्था है जबकि डिप्रेशन (अवसाद) एक रोग है। हमारे शरीर में अनेको रसायन बनते रहते है। शरीर में विभिन्न प्रकार के हार्मोन व् एंजाइम बनते हैं जिसमें कुछ हमारे मूड को प्रभावित करते हैं।
डिप्रेशन (अवसाद) में व्यक्ति एक घनघोर उदासी का अनुभव करने लगता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता। वह जीवन से निराश हो जाता है। उसे किसी भी बात से ख़ुशी महसूस नहीं होती है।
व्यक्ति अकेला रहना चाहता है।उसे किसी पार्टी या उत्सव में बिलकुल भी ख़ुशी महसूस नहीं होती है। उसे यह मानव जीवन निरर्थक लगने लगता है।
व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता है। वह अकारण किसी बात से भयभीत महसूस करने लगता है।
व्यक्ति के मन में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। उसको दुनिया के कार्यकलाप निरर्थक लगने लगते हैं। वह अस्तव्यस्त जीवन जीने लगता है।
व्यक्ति अपने भीतर एक गहरा खोखलापन महसूस करने लगता है। यह अवस्था उसे दम घोंटने जैसा महसूस कराती है।
उदासी, भय, अकेलापन, निराशा जैसे भाव जब इस प्रकार से स्थाई हो जायें की व्यक्ति दूसरों का या अपना जीवन समाप्त करने तक का विचार करने लगे डिप्रेशन (अवसाद) कहलाता है। इस अवस्था में व्यक्ति अपने करीबी की सलाह तक अनसुनी कर देता है।
यह किस प्रकार व्यक्ति को प्रभावित करता है?
डिप्रेशन (अवसाद) से प्रभावित व्यक्ति अपने को दुनिया से काट लेता है। वह अपने ही विचारों में डूबा रहता है। वह लोगों से मिलना, बात करना और हँसना नहीं चाहता है। भीड़ में उसे घबराहट होने लगती है। अपनी बातें वह स्पष्टता के साथ नहीं बता पाता है। उसे पार्टी करने या शामिल होने में रूचि नहीं रहती है।
डिप्रेशन (अवसाद ) से ग्रसित व्यक्ति की बेचैनी इतनी बढ़ जाती है कि वह आत्महत्या का प्रयास भी कर सकता है।
डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण
- किसी भी काम या चीज़ में मन न लगना
- कोई रुचि न होना, किसी बात से कोई खुशी न होनी
- दुःख का भी अहसास न होना
- हर समय नकारात्मक सोच होना
- नींद न आना या बहुत नींद आना
- अकेले रहना, लोगों से मिलने से बचना
- शारीरिक ऊर्जा में कमी महसूस करना
- बिना किसी रोग के भी शरीर में दर्द महसूस करना
कई तरह के डिप्रेशन (अवसाद) हो सकते हो सकते है जिनमें इसके दो मुख्य प्रकार हैं-
- एंडोजीनस (यह आंतरिक कारणों से होता है)।
- न्यूरोटिक (आमतौर पर यह बाहरी कारणों से होता है)।
इनके अलावा डिसथीमिया, मौसम प्रभावित डिप्रेशन (सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर), मनोविक्षप्ति (साइकोटिक), छिपा (मास्कड) व प्रसन्नमुख (स्माइलिंग) डिप्रेशन इसके अन्य प्रकार हैं।
वरिष्ठ नागरिकों में डिप्रेशन के कारण
वरिष्ठ नागरिक में डिप्रेशन (अवसाद) का कारण लम्बी बीमारी, दूसरों पर बोझ बनने का भय, आर्थिक तंगी, शारीरिक ऊर्जा में कमी के कारण अरुचि भी होता है। अक्सर वे नहीं मानते कि डिप्रेशन (अवसाद) वास्तविक बीमारी है, तो सहायता के लिए पूछने पर उन्हें शर्म आती है।
भारत में हेल्पलाइन
भारत में कुछ NGO अब डिप्रेशन ग्रसित लोगो को मदद देने का प्रयास कर रही है जैसे –
- Vandrevala foundation 2009 में स्थापित NGO है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायता देती है।
इसका लिंक है- https://www.vandrevalafoundation.com
कांटेक्ट नंबर – 18602662345 , 7304599836 7304599837
- जीवन आस्था हेल्पलाइन
Toll Free : 1800 233 3330 ( Verified )
वेबसाइट : http://www.jeevanaastha.com
EMAIL : help@jeevanaastha.com - आसरा
कांटेक्ट : 09820466726
Website : http://www.aasra.info/helpline.htm - SANJIVINI ( दिल्ली )
Centre 1 -जंगपुरा नई दिल्ली
सम्पर्क : 011-24311918 , 011-24318883 , 011-43001456
( 10am to 5.30 pm : सोमवार से शुक्रवार )Centre 2 ( क़ुतुब Institutional Area )
सम्पर्क : 011- 40769002 , 011-41092787 ( 10am to 7.30pm : सोमवार से शनिवार )
Website : http://sanjivinisociety.org - SUMAITRI
सम्पर्क : 011-23389090 (नई दिल्ली)
समय : 2pm to 10 pm सोम से शुक्र , 10am to 10pm शनि व् रविवार - अर्पिता फाउंडेशन
सम्पर्क : 080-23655557, सोम से शनि 10am से 1 pm ( Verified )भाषा : English , kannada , Hindi , tamil , Telgu , Malyalalam , gujrati and bengali
अंत में –
कोरोनाकाल में बहुत तेज़ी से हालात बदल रहे हैं। ऐसे में स्थापित रोज़गार प्रणाली में बदलाव आने से बेरोजगारी बढ़ेगी। नए रोज़गार अवसरों के लिए लोगो को अपडेट होना पड़ेगा। इसके अलावा बहुत से काम नई तकनीक नयी व्यवस्थायें सीखे बिना संभव नहीं है।इन सब परिदृश्यों में लोगों में डिप्रेशन (अवसाद) को लेकर जागरूकता होना जरूरी है।