भावनाओं की कहानी हमें बताती है कि कुछ बातें कहानी के माध्यम से हमें अपने ज़्यादा करीब लगती हैं।
सच बात तो है कि गंभीरता से कही गयी रोचक बात भी जैसे नीरस हो जाती है। उसी प्रकार रोचकता से कही गयी गंभीर बात भी हमारे दिल के ज़्यादा करीब होकर हमारे मन में उतर जाती है। तो भावनाओं जैसे भावुक विषय को रोचकता से कहती ये हमारी भावनाओं की कहानी ज़रूर सुने आप भी भाव विभोर हो जाएंगे। कहानी सुनने के लिए नीचे चित्र पर क्लिक करें –
भावनाओं की कहानी
आज मैं आपको ऐसी कहानी सुनाऊंगा जो इस धरती पर बहुत पहले घटी थी।
हम इंसानो के वजूद से भी पहले। और तो और डायनासोर युग से भी पहले की बात है ये।
उस समय तक, पृथ्वी पर सिर्फ ऊर्जा का वास था भावनाओं के रूप में। एक द्वीप था यानि एक टापू था, जहाँ सभी भावनाएँ खुशी, उदासी, ईर्ष्या, घमंड, ज्ञान, और प्यार सहित अन्य सभी तरह की भावनाएं रहती थीं। एक दिन उस द्वीप पर यह घोषणा हुई की यह द्वीप गहरे विशाल सागर में डूब जाएगा।
अब यह निश्चित था कि द्वीप गहरे विशाल महासागर में डूब जाएगा, इसलिए उन सभी को जल्द से जल्द वहां से बाहर निकलने की आवश्यकता थी। इसलिए सभी भावनाओं ने नौकाओं को तैयार किया, और खुले समुद्र में छोड़ दिया।
यह देखने के लिए कि क्या होगा प्रेम द्वीप पर ही रहने वाला था। प्रेम तब तक द्वीप पर रहना चाहता था जब तक कि वह डूबना शुरू न हो जाए। और जब प्रेम लगभग डूब रहा था तो उसने मदद मांगने का फैसला किया।
समृद्धि प्रेम के समीप से गुजर रही था, एक सुंदर नाव में, और प्रेम ने कहा, “समृद्धि तुम मुझे अपने साथ ले जा सकती हो?”
समृद्धि ने उत्तर दिया “नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकती, मेरी नाव में बहुत सारा सोना, और चांदी हैं, यहाँ आपके लिए कोई जगह नहीं है।
प्रेम ने घमंड से पूछने का फैसला किया, जो पास से गुजर रहा था,” घमंड, कृपया मेरी मदद करें। ” घमंड ने कहा नहीं, मैं मदद नहीं कर सकता आपकी प्रेम, तुम तो बहुत गीले हो चुके हो। और शायद मेरी नाव को इससे नुकसान हो सकता है।
दुःख करीब था इसलिए प्यार ने मदद के लिए कहा “दुःख मुझे तुम्हारे साथ आने दो।” ओ लव, मैं बहुत दुखी हूं कि, मैं अकेले जाना ही पसंद करता हूँ।
तभी प्रेम ने ईर्ष्या को भी अपनी नाव में वहां से आते देखा पर इस बार उसकी कुछ कहने हिम्मत ही न हुई, क्योंकि ईर्ष्या तो फिर ईर्ष्या थी।
खुशी भी प्रेम के क़रीब से गुज़री, मगर वह इतनी खुश थी कि जब प्यार ने उसे बुलाया तो उसने तो देखा या सुना भी नहीं।
अचानक प्रेम ने एक आवाज सुनी “आओ प्रेम, मैं तुम्हें ले जाऊंगा।” यह उसी टापू वाला एक बुजुर्ग था जिसका नाम प्रेम नहीं जानता था।
मगर प्रेम इतना खुश हो गया कि वह उस बुजुर्ग से उसका नाम पूछना ही भूल गया और जब वे सूखी भूमि पर पहुंचे, तो बुजुर्ग अपने रास्ते चला गया।
अब प्रेम अपने एक और बुजुर्ग, ज्ञान की तरफ मुड़ा और उसने पूछा वह कौन थे जिन्होंने मेरी मदद की थी।
ज्ञान ने बताया वह समय था।
“समय! लेकिन समय ने मेरी मदद क्यों की?” प्रेम ने पूछा।
“क्योंकि केवल समय यह समझने में सक्षम है कि प्रेम कितना मूल्यवान है” ज्ञान ने कहा।
आप कभी-कभी देखते हैं, जब आप किसी चीज के सामने खड़े होते हैं, या जब आप तत्काल किसी समस्या का सामना करते हैं, तो आप हमेशा इसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं, लेकिन कुछ साल बाद आप पीछे मुद कर देखते हैं, तब समझ पाते हैं कि आपसे गलतियां कहां हुईं, और यह विशेष रूप से प्रेम के साथ ऐसा ही होता है। केवल समय ही है जो प्रेम या कहें सच्चे प्रेम को समझने में सक्षम है।
जिस क्षण आप प्यार महसूस करते हैं, शायद आप इसे समझ सकते हैं लेकिन समय आपको बताएगा कि क्या प्यार वास्तविक था या नहीं?
वैसे भी मुझे उम्मीद है कि आप इस कहानी का थोड़ा सा हिस्सा ले सकते हैं और अपने जीवन पर लागू कर सकते हैं।