भगवान का आदेश, नियति आप से जब जो कराना चाहते हैं आप को करना ही होता है। इसलिए अपनी स्थिति पर आप गर्व कर सकते हैं पर कभी अपने से दयनीय स्थिति वाले का मज़ाक न बनायें। क्योंकि आप यदि सक्षम हैं तो भी आपका मदद करना या न करना आपके विवेक पर है। पर जिस पल आप किसी की परिस्थिति के कारण उसे छोटा दिखाने का प्रयत्न करते हैं, आप खुद ही छोटे हो जाते हैं। ऐसी ही एक कहानी देखें भगवान का आदेश हो तो शैतान को भी मानना पड़ता है!

कोविड 19 महामारी के लॉकडाउन का समय था। ऐसे में एक गरीब महिला जो कपड़े सीकर अपना परिवार चलाती थी। उसके पास काम आना बंद हो गया वह महिला भगवान श्री कृष्ण की पूजा करती थी और उनपर बहुत विश्वास रखती थी। मगर एक दिन ऐसी स्थिति आई घर का सारा राशन समाप्त हो गया। उसके परिवार को दो दिन से खाने को कुछ नहीं मिला। ऐसे में महिला मंदिर गयी मगर मंदिर बंद होने के कारण बाहर खड़े होकर ही भगवान् को अपना हाल बताने लगी और आसपास का ध्यान रखे बिना वह अपनी ही धुन में भगवान श्री कृष्ण से मदद मांगने लगी।

उसी दौरान बहुत ही घमंडी और नास्तिक स्वभाव का एक सेठ मंदिर के पास से गुजरा। उसने उस गरीब महिला की बात सुनी तो वह मन ही मन हंसा कि इससे तो यह महिला किसी से भीख मांग लेती तो इस कुछ मिल जाता। उसके मन में अचानक खयाल आया कि क्यों न इस महिला के साथ ऐसा मजाक किया जाए कि इसकी कृष्णभक्ति डगमगा जाए। घर जाकर उसने अपने नौकर को ढेर सारा खाना लेकर उस महिला के घर भेजा। साथ ही जाते-जाते अपने नौकर से कहा कि अगर महिला पूछे तो कहना कि शैतान ने भेजा है। नौकर खाना लेकर उस महिला के पास पहुंचा।

खाना देखकर महिला और उसके परिवार ने भगवान श्री कृष्ण का शुक्रिया अदा करते हुए भोजन ग्रहण किया फिर। यह सबकुछ सेठ का नौकर देखता रहा लेकिन क्योंकि महिला ने नौकर से पूछा ही नहीं था कि वहा कौन है और कहां से आया है तो उसने भी बताना उचित नहीं समझा। हालांकि वह उन लोगों के पास देर तक रुका रहा।

भोजन करने के बाद महिला अपने काम व्यस्त हो गई और उसे बच्चे इधर-उधर खेलने लगे। यह देख नौकर को बड़ी अजीब लगा कि ये लोग कितने मतलबी हैं कि इतना कहां तो ये भूख से मर रहे थे और कहां इन्हें इतना स्वादिष्ट भोजन मिल गया, बावजूद इसके इन्होंने एक बार भी यह जानने का प्रयास तक नहीं किया कि ये भोजन कहा से आया और किसने भेजा है।
नौकर से जब रहा नहीं गया तो उसने महिला से पूछ ही लिया आपने एक बार भी यह जानने तक का प्रयास नहीं कि ये भोजन किसने भेजा है? आप लोगों को एक बार जिज्ञासा नहीं हुआ कि भोजन किसने भेजा है।

उसकी बात सनुकर महिला बोली, ये सब मैं क्यों सोचूं? मुझे मेरे कान्हा पर पूर्ण विश्वास और भरोसा है। मेरे श्री कृष्ण आदेश देते हैं तो शैतान को भी उसका पालन करना पड़ता है। यह सुनकर नौकर लौट गया, जहां उसके घमंडी सेठ ने पूछा कि महिला ने उससे क्या पूछा तो नौकर ने सारा वृतांत सुना दिया।

नौकर की बात सुनकर सेठ मन ही मन काफी लज्जित हुआ और समझ भी गया कि उसके मन में मजाक का विचार यूं ही नहीं आया था। ये सब उससे भगवान ने ही कराया है। उसने बस नौकर से इतना ही कहा कि महिला ने सही कहा था कि भगवान का आदेश तो शैतान को भी मानना पड़ता है।