ये एक ऐसे अकेले राजा की कहानी है, जिसका बहुत बड़ा राज्य था। उसकी कई रानियां थीं। मगर फिर भी जीवन में एक दिन ऐसा आया कि उसे पता चला की वह तो अकेला है। तब उसने अपने जीवन में अपनी गलतियों को देखा जो उसने की थीं। और उसे पता चला उसके सच्चे साथी को उसने कभी महत्व ही नहीं दिया। इस अद्भुत अकेले राजा की कहानी को देखने के लिए नीचे चित्र पर क्लिक करें –

बहुत समय पहले एक धनी राजा था। उसका राज्य बहुत ही वैभवशाली और ऐश्वर्य से भरपूर था, उसने अपने पराक्रम और साहस से अपने राज्य का विस्तार किया था। उसके राज्य में प्रजा भी बहुत खुशहाल थी।
उसकी चार पत्नियाँ थीं। वह अपनी सबसे छोटी रानी से सबसे अधिक प्रेम करता था। वह उसका बहुत ध्यान रखता, उसको दुनिया के सबसे कीमती वस्त्र, एवं अनमोल रत्न उपहार में लाकर देता, और उसकी हर इक्षा पूरी करता।
तीसरी पत्नी की सुंदरता पर वह बहुत मोहित था, और उसकी सुंदरता पर गर्व करता था।
वह जब भी कहीं जाता तो तीसरी रानी को अपने साथ लेकर ज़रूर जाता। परन्तु वह मन ही मन घबराता था कि, कहीं वह उसे छोड़ कर न चली जाए या कोई उस को उस से छीन न ले।
राजा की दूसरी पत्नी बहुत ही दयालु, बुद्धिमान और विचारशील थी। हर मुश्किल समय में जब राजा को सलाह की ज़रूरत पड़ती तो वह राजा की भरोसेमंद सलाहकार थी। राजा को उसपर बहुत भरोसा था और राजा उसका बड़ा सम्मान करता था।
राजा की पहली रानी बहुत निष्ठावान और अच्छे हृदय वाली स्त्री थी, वह राजा को बहुत प्रेम करती थी। परन्तु राजा कभी उसकी परवाह न करता।
एक बार राजा बीमार पड़ गया, और उसको यह लगने लगा कि उसका जीवन जल्द ही समाप्त होने वाला है। उसने अपनी खूबसूरत ज़िंदगी के बारे में सोचा, तो उसे मरने के बाद अब अकेले होने का डर सताने लगा।
वह अपनी चौथी पत्नी को अपने पास बुलाकर कहने लगा कि मैंने तुमसे सबसे अधिक प्रेम किया है, तुम्हें दुनिया की हर कीमती चीज़ लाकर दी है, और तुम्हारा बहुत ध्यान रखा है। पर अब, मेरा अंतिम समय आ गया है क्या तुम मेरे साथ चलोगी। पत्नी ने कुछ न कहा, कोई जवाब नहीं दिया और बिना कोई शब्द कहे वहां से चली गई।
अब राजा ने अपनी तीसरी पत्नी कोई बुलवाया और उससे कहा मैंने तुम्हे जीवन भर प्रेम किया है, परन्तु अब मैं मर रहा हूँ। क्या तुम मेरे साथ चलोगी ? पत्नी ने कहा, सच है, आपने मुझे बहुत प्रेम किया है, परन्तु जीवन बहुत सुन्दर है और मैं जीवन के साथ हूँ। मैं तो आपके मरने के बाद दूसरा विवाह कर लूंगी, ऐसे व्यक्ति से जो मुझे आपकी तरह प्रेम करे।

राजा ने अब अपनी दूसरी पत्नी को बुलवाया और कहा प्रिय तुमने हर बुरे वक़्त में मेरा साथ दिया, मुझे हमेशा सबसे अधिक विश्वास तुम पर ही रहा।  परन्तु अब तो मैं मरने वाला हूँ, और मुझे पूरा विश्वास है की तुम तो मेरे साथ चलोगी। चलोगी न ?

दूसरी पत्नी ने कहा: नहीं राजन, मुझे खेद है कि इस बार मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पाउंगी, पर मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मैं आपके अंतिम संस्कार और मृत्यु पश्चात सभी कार्यों का ध्यान रखूंगी।

राजा अकेला, निःसहाय और दुखी होकर सर पकड़ कर बैठ गया।

तभी एक आवाज़ सुनाई दी: मैं आपके साथ चलूंगी, आप जहाँ-जहाँ भी जाएंगे, मैं हमेशा आपके साथ हूँ।

राजा ने सर उठा कर देखा बहुत ही दुबली-पतली और कमज़ोर सी उसकी पहली पत्नी सामने खड़ी थी। वास्तव में राजा ने  कभी अपनी पहली पत्नी की परवाह न की थी। उसे बड़ी शर्मिंदगी हुई। उसने कहा कि मुझे यह हमेशा से पता था। तुम मुझे सबसे अधिक प्रेम करती हो। काश मैंने तुम्हारा बेहतर ख़्याल रखा होता।

सच्चाई यह है, कि ये कहानी एक राजा की नहीं है, जिसकी चार पत्नियां हैं। यह आपकी, मेरी और हम सबकी कहानी है क्योंकि, हम सभी की चार पत्नियाँ हैं।

चलिए जानते हैं कैसे ?
हमारी चौथी पत्नी चाहे यानि हमारा शरीर,  सोच के देखिये हम उसके अच्छा दिखाने के लिए कितना समय देते हैं, और प्रयास करते हैं। इस शरीर के आराम और बेहतरी के लिए हम जीवन भर कोशिशें करते हैं। पर यह हमें छोड़ देगा, जब हम मर जाएंगे। फिर इसे जलाया या दफनाया जाएगा।

हमारी तीसरी पत्नी हमारी धन-संपत्ति है यानि वह भौतिक और सांसारिक चीजें जो हम जीवन भर इकट्ठी करते रहते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। मगर जब हम मरेंगे तो यह दूसरों के पास जाएगा, इसे बांटा जाएगा, तभी तो राजा हमेशा डरता था कि यह पत्नी उसे छोड़ देगी या कोई उसे चुरा लेगा। और कहानी में तीसरी पत्नी कहती है कि उसके जाने के बाद वह फिर से शादी करेगी।
हमारी दूसरी पत्नी जो कि हमारा परिवार है, हमारे मित्र हैं और वो लोग हैं जिनसे हम प्यार करते हैं, चाहे उन्होंने जीवन में हमारा कितना भी समर्थन किया हो या साथ दिया हो।  मगर वह चाहते हुए भी हमारे साथ नहीं आ सकते। बस वह हमारे अंतिम ससंकार और मृत्यु पश्चात होने वाले कार्यों में शामिल हो सकते हैं। तभी तो दूसरी पत्नी कहानी में कहती है साथ चलना संभव नहीं है मगर वह अंतिम संस्कार और सभी व्यवस्थाओं का ध्यान रखेगी।
हमारी पहली पत्नी: हमारी आत्मा,  हमारी पहली पत्नी है। चूँकि वह शुरुआत से ही, हमेशा हमारे पास होती है, और इसलिए हम अक्सर उसकी उपेक्षा करते हैं। जैसे मुफ्त में मिलने वाली चीज़ों की उपेक्षा की जाती हैं।

हम अपनी आत्मा की कोई परवाह नहीं करते। मगर सच ये है कि आत्मा हमेशा हमारे साथ रहेगी, हमारे मरने के बाद भी यह हमें अगले कदम पर ले जाएगी। ये बात हम तो नहीं जानते कि मृत्यु के बाद क्या है, लेकिन आत्मा हमेशा हमारे साथ रहेगी।

यही वजह है कि पहली पत्नी भले ही  राजा द्वारा उपेक्षित की गई थी। पर वह वह अंत में चिल्लाती है, और राजा से कहती है कि मैं आपका अनुसरण करूँगी, चाहे आप कहीं भी जाएं।

ये कहानी बताती है कि आपको अपने शरीर की देखभाल करनी चाहिए, और इसे स्वस्थ रखना चाहिए ताकि आप जीवन को पूरी तरह से जी सकें। स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ शरीर होना अच्छा है।

अपनी संपत्ति सुख का आनंद लें क्योंकि ये भौतिक चीजें प्रदान करते हैं, जो हम सभी को भौतिक जीवन में चाहिए।

और अपने परिवार और मित्रों को भी प्यार करें क्योंकि प्रेम के बदले प्रेम ही उपजता है। और इस संसार में सुख भोगने के लिए परिवार और मित्र अत्यंत आवश्यक हैं।

मगर अपनी आत्मा को कभी न भूलें। जैसे हम अपने शरीर, धन और परिवार की देखभाल करते हैं, अपनी आत्मा की देखभाल करना भी कभी न भूलें क्योंकि आप, और आपकी आत्मा अनंत काल तक एक साथ बंधे हुए हैं। आपकी आत्मा आपकी सबसे वफादार दोस्त साबित होगी।

अकेले राजा की कहानी आपको कैसी लगी कृपया कमेंट में ज़रूर लिखें।

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