ग्लूकोमा या काला मोतिया : क्या ये किसी को भी हो सकता है।
क्या आपको चीज़ें धुँधली दिखती हैं?
क्या आँखों के आगे अँधेरा नज़र आता है?
और क्या आपके सिर में हमेशा दर्द रहता है?
बल्ब या किसी रोशनी के आगे इंद्रधनुष की तरह रंगीन चक्र दिखते हैं?
इसकी वज़ह ग्लूकोमा हो सकती है, इसलिये सावधान हो जाइए।
ग्लूकोमा एक खामोश रोग है।जो चुपचाप आपकी आँखों की रोशनी छीन लेता है।
जब तक इस रोग से प्रभावित व्यक्ति को इसका पता चलता है तब तक उसको जो नुकसान होता है उसकी भरपाई नामुमकिन हो जाती है ।
लेकिन अगर आप इस रोग के लिए सजग रहें तो वक्त रहते इसे पहचान कर बढ़ने से रोका जा सकता है।
किसे हो सकता है ग्लूकोमा
बढ़ती उम्र- जो 40 के ऊपर की उम्र के होते हैं उन्हें ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है।
अनुवांशिक कारण -अगर आपके परिवार में पहले किसी को ग्लूकोमा हुआ था तो भी आपको ग्लूकोमा होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
- आपके परिवार में पीढ़ी में यदि किसी को ग्लूकोमा रहा है तो आपको सावधान रहने की आवश्यकता है ।
- जो लोग अस्थमा या आर्थराइटिस के लिए स्टेरॉयड्स ले रहे हैं उनमें भी ग्लूकोमा का हाई रिस्क होता है।
- ट्यूबरक्लोसिस की हैवी डोज़ से भी आँखों पर असर आता है।
- वेल्डिंग का काम करने वालों में भी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है।
- बहुत ज्यादा प्रदूषण और जहरीली हवा में रहने वालों को भी ग्लूकोमा हो सकता है।
- आँख में कोई चोट लगी हो कोई सर्जरी हुई हो तो ग्लूकोमा की आशंका बढ़ जाती है।
- डायबिटीज़ ह्रदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को दूसरों की अपेक्षा ख़तरा अधिक होता है।
- कार्टिकोस्टेरॉइड्स युक्त दवाएं, विशेष रूप से लंबे समय तक आई ड्राप का इस्तेमाल करने से इस रोग की संभावना बढ़ जाती है।
- आँखों मे बहुत ज़्यादा सूजन व दर्द होने से ग्लूकोमा का खतरा होता है।
- कॉर्निया का सामान्य से अधिक पतला होना ग्लूकोमा का कारक हो सकता है।
ग्लूकोमा क्या है?
ग्लूकोमा आंखों का एक गंभीर रोग है। जो आँखों को मस्तिष्क से जोड़ने वाली तंत्रिका ‘ऑप्टिक नर्व’ को नुकसान पहुंचाती है।
ऑक्युलर हाइपरटेंशन एक स्थिति है जिसमें आंखों में सामान्य से अधिक दवाब बढ़ जाता है।इस बीमारी से आई बॉल में प्रेशर बढ़ जाता है।
कुछ अन्य कारण इस प्रेशर को बढ़ा देते हैं।जब प्रेशर बढ़ता है तो ऑप्टिक नर्व के फाईबर नष्ट होने लगते हैं। जिससे वह क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसका हमारी दृष्टि से विशेष रूप से सम्बंध है।
हम जो कुछ भी देखते हैं ऑप्टिक नर्व से उसकी इमेज हमारे ब्रेन में बनती है।
आँख का प्रेशर बढ़ने पर ऑप्टिक नर्व कमजोर होने लगती है जिससे यह ब्रेन को कोई सिग्नल नहीं भेज पाती है।इससे धीरे धीरे नज़र कमज़ोर पड़ने लगती है।
दृष्टि के लिए एक बड़ा खतरा
इसका सही समय पर यदि उपचार न कराया जाय तो दृष्टि पूरी तरह से जा सकती है। ग्लूकोमा को काला मोतिया भी कहते हैं।
यह रोग दृष्टिहीनता का दूसरा मुख्य कारण है।यह एक लाइलाज रोग है, जो धीरे धीरे बढ़ता है।समय पर उपचार ही इसे बढ़ने से रोक सकता है।एडवांस ग्लूकोमा दृष्टिहीनता का कारण बन सकता है।
ग्लूकोमा फाउंडेशन के अनुसार 2020 के अंत तक एक करोड़ बारह लाख लोग ग्लूकोमा के चलते अपनी आँखों की रोशनी गवां सकते हैं।
अधिकतर मामलों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखायी देते हैं।इसलिए इसे साइलेंट ब्लाइंडिंग डिजीज कहते हैं।
समय पर उपचार न करने पर यह समस्या गंभीर होती जाती है। शुरुआत में आँखों की रोशनी धीरे धीरे कम होने लगती है और आखिरकार बाद में दिखाई देना खत्म हो जाता है।
बेहद गंभीर समस्या
यह काला मोतिया दृष्टिहीनता का एक प्रमुख कारण है।इससे आँखों को जो क्षति होती है, उसे सर्जरी या दवाओं से नहीं सुधारा जा सकता है।
इसका उपचार नहीं है परंतु और अधिक नुकसान को रोका जा सकता है।
ग्लूकोमा का कोइ लक्षण दिखाई नहीं देता है।आँखों में दवाब बढ़ने पर भी कोई सीधा लक्षण सामने नहीं आता है।जब आँखों की रोशनी कमज़ोर जो जाती है तब इस रोग का पता चलता है।
ग्लूकोमा के प्रकार
क्रोनिक ग्लूकोमा
क्रोनिक अवस्था में अश्रु नलिकायें जाम हो जाती हैं जिससे तरल पदार्थ जब बाहर नहीं निकल पाता है तो इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर बढ़ने लगता है।जिससे धीरे धीरे आँखों की रोशनी कम होती जाती है। इसे ओपन एंगल ग्लूकोमा भी कहते हैं।
एक्यूट ग्लूकोमा
एक्यूट ग्लूकोमा में अचानक तरल पदार्थ निष्कासित करने वाली नलिकायें अचानक पूरी तरह बंद जो जाती हैं, जिससे आँखों में तेजी से दवाब बढ़ने लगता है।ऐसे में आँखों में तेज दर्द हो सकता है।
उपचार न कराने पर आँखों की रोशनी स्थायी रूप से जा सकती है।इसे क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा या नैरो एंगल ग्लूकोमा भी कहते हैं।
सेकंडरी और डेवलपमेंटल ग्लूकोमा
जब किसी अन्य बीमारी के इलाज करते समय आँखों पर दवाब पड़ता है।दवाब के लगातार बढ़ने से ऑप्टिक नर्व को क्षति पहुँचती है जो ग्लूकोमा का कारण बन जाता है, तो इसे सेकंडरी ग्लूकोमा कहते हैं।
कॉन्जेनाइटल ग्लूकोमा
इसे जन्मजात काला मोतिया कहते हैं ।यह गर्भावस्था में आसामान्य विकास या वंशानुगत दोष के कारण जो सकती है।
कैसे होती है जांच
टोनोमैट्री परीक्षण: परीक्षण के पहले आई ड्राप डालकर आँखों को सुन्न किया जाता है।फिर टोनोमीटर उपकरण के द्वारा आंखों के आंतरिक दवाब को मापा जाता है।
ऑप्थलमोस्कोपी परीक्षण: इसमें ऑप्टिक नर्व की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाता है, ताकि ऑप्टिक नर्व के आकार और रंग की ठीक प्रकार जांच की जा सके।
पेरिमेट्री परीक्षण: इस जांच से ग्लूकोमा द्वारा हुए नुकसान की मात्रा का आंकलन करते हैं।
गोनियोस्कोपी परीक्षण इसमें पाकीमीटर से कॉर्निया की मोटाई मापी जाती है।यह एक आसान और दर्दरहित तरीका है।
उपचार
मरीज की स्थिति के आधार पर डॉक्टर उपचार का विकल्प चुनते हैं।जैसे आई ड्राप, खाई जा सकने वाली दवाएं, लेज़र ट्रीटमेंट व सर्जरी द्वारा उपचार किया जा सकता है। इन सभी का मकसद आँखों में फ्लूइड के ड्रेनेज को सुधार कर आई प्रेशर को कम करना है।
सर्जरी के प्रकार हैं-
लेज़र ट्रेबेक्यूलोप्लास्टि– इसमें आंखों को ड्राप द्वारा सुन्न करने के बाद प्रकाश की उच्च तीव्रता वाली किरण का इस्तेमाल किया जाता है।जिससे आंखों से तरल पदार्थ को निकालने में मदद मिलती है।
ग्लूकोमा फ़िल्टरिंग सर्जरी- यह एक पारंपरिक सर्जरी है। यह तब की जाती है जब दवाओं और लेज़र सर्जरी में सफलता नहीं मिलती है।सर्जरी के पहले आँखों के आसपास के हिस्से को सुन्न करने के लिये छोटे इंजेक्शन लगाए जाते हैं।तरल पदार्थ निकालने के लिये ऊतकों के छोटे भाग को निकाल कर नया मार्ग बनाया जाता है।इस फिल्टरिंग सर्जरी से 60-80 प्रतिशत तक आँख के दवाब को कम किया जा सकता है।
ड्रेनेज ट्यूब– आंखों में जाम तरल पदार्थ निकालने के लिये एक छोटी सी शंट ट्यूब सर्जरी से डाली जाती है।
मिनिमली इंवज़ीन ग्लूकोमा सर्जरी– यह अत्याधुनिक सर्जरी है।यह MIGS कहते हैं।इसमें ड्रेनेज ट्यूब और फ़िल्टरिंग सर्जरी से कम जोखिम होता है।सर्जरी से बना जख्म भी जल्दी ठीक हो जाता है।
ग्लूकोमा के आयुर्वेदिक उपचार
सबसे महत्वपूर्ण है कि आँखों की प्रॉपर केअर करनी चाहिए।आमतौर पर हम आँखों की देखभाल के प्रति लापरवाह होते हैं।
इसलिये सुबह उठने के बाद आँखों को जरूर साफ करें।मुँह मे पानी भर लें उसके बाद आँखों में ठंडे पानी के छींटे मारें ।
त्रिफला चूर्ण रात में भिगो दें और सुबह उसके पानी से आंखें धो लें।
सौंफ 50 ग्राम, बादाम 50 ग्राम, 10 ग्राम सफेद गोल मिर्च का चूर्ण बनायें। दूध के साथ एक चम्मच चूर्ण का सेवन करें।
7-8 बादाम रात को भिगोयें सुबह उसे छीलकर खायें।
लेकिन इसका रुट कॉज खत्म करने के लिये डॉक्टर से ज़रूर सम्पर्क करें।
ग्लूकोमा से अपनी आँखों को कैसे बचायें
इसके लिए अच्छी डाइट लें
पालक चुकन्दर और गाजर का सेवन करें।
समय समय पर आँखों की जाँच करें। आँखों की ज़रा सो तकलीफ़ होने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
आँखों में खुजली हो रही हो, जलन हो रही हो, थकान जो रही हो या सूजन हो रही हो तो लापरवाही न करें। तुरन्त डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
आँखों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। आँखों में लगी गम्भीर चोट ग्लूकोमा का कारण बन सकती है।
आंखों को रोज़ पानी से साफ करें
डॉक्टर की बताई आई ड्राप नियमित डालें।
चालीस वर्ष के बाद नियमित जांच करायें
अक्सर लोग उम्र बढ़ने के कारण नज़र की कमजोरी समझते हैं। लेकिन हो सकता है कि नज़र की कमज़ोरी ग्लूकोमा के कारण हो। इस उम्र के बाद हर साल एक बार आँखों की जाँच अवश्य करायें।